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Analysis: बौद्ध मठों से भारत पर हमला

सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन हकीकत यही है कि चीन भारत में 'वैचारिक' हमले की बड़ी तैयारी कर रहा है. इसके लिए चीन ने भारत से सटी नेपाल और भूटान की सीमाओं के पास चालीस से ज्यादा बौद्ध मठ और अध्यन केन्द्र बना लिए हैं. और ऐसे केन्द्र और भी बनाए जा रहे हैं. इनका इस्तेमाल वह भारत विरोधी प्रचार अभियानों को पूरा करने के लिए करना चाहता है.

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चीन आए दिन भारत की सीमा में घुसपैठ करता है
चीन आए दिन भारत की सीमा में घुसपैठ करता है

सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है लेकिन हकीकत यही है कि चीन भारत में 'वैचारिक' हमले की बड़ी तैयारी कर रहा है. इसके लिए चीन ने भारत से सटी नेपाल और भूटान की सीमाओं के पास चालीस से ज्यादा बौद्ध मठ और अध्यन केन्द्र बना लिए हैं. और ऐसे केन्द्र और भी बनाए जा रहे हैं. इनका इस्तेमाल वह भारत विरोधी प्रचार अभियानों को पूरा करने के लिये करना चाहता है. ये ख़बर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सरकार को दी है. बड़ा सवाल ये है कि क्या भारत इस हमले के लिए तैयार है?

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चीन ने अपने मकसद को पूरा करने के लिये अध्ययन केंद्र और बौद्ध मठों की सुरक्षा का जिम्मा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को दिया है. जिसने कई बार लद्दाख की बर्फीली सीमा में घुसपैठ की है. भारतीय सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल और सरकार की परेशानी चीन की इस चाल से बढ़ गई है. दरअसल सेना और बीएसएफ घुसपैठ रोक सकती है, गोली का जवाब गोली से दे सकती है, लेकिन वैचारिक तौर पर भारत के खिलाफ प्रचार-प्रसार करने वाले इन केन्द्रों और मठों से निपटना आसान नहीं लगता.

चीन की नई रणनीति काफी सोची समझी है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत इन मठों और केन्द्रों का विरोध नहीं कर सकता. और अगर भारत विरोध करेगा तो उसे इन केन्द्रों और मठों के खिलाफ पुख्ता सबूत भी जुटाने होंगे. धर्म के नाम पर चीन की ये चाल भारत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. दो साल पहले दिल्ली में पकड़े गए दो नक्सलियों ने चीन की योजना का खुलासा भी किया था कि चीन ऐसे लोगों की तलाश में रहता है जो भारत में रहकर उसकी विचारधारा को अपनाएं और भारत के खिलाफ उसके काम आएं.

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साल 2011 में गृह मंत्रालय की एक खुफिया रिपोर्ट में भी चीन की ऐसी ही साजिश का खुलासा हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर के 7 मैइती विद्रोही गुटों ने नगा विद्रोही गुट एनएससीएन (के) के साथ मिलकर एक भारत-विरोधी संयुक्त मोर्चा बनाया था. जिसे चीन का समर्थन हासिल था. रिपोर्ट में कहा गया था कि बांग्लादेश में सक्रिय भारत विरोधी गुटों से चीन का संपर्क हो गया है. उसकी मदद से ये गुट बांग्लादेश से म्यांमार चले गए हैं. हाल हीअसम में कत्ल-ए-आम करने वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड का एक गुट भी म्यांमार में चीनी एजेंसियों की मदद से प्रशिक्षण केन्द्र चला रहा है. प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओ) चीन की मदद से ही असम में अपनी जड़े मजबूत करने की फिराक में है. भारत की लगभग चालीस फीसदी आबादी को प्रभावित करने वाले नक्सली भी चीन से मदद पा रहे हैं.

अब अरुणाचल प्रदेश में दो हज़ार किलोमीटर लंबी सड़क और 54 नई सुरक्षा चौकियों के ऐलान से चीन परेशान है. उसने इस पर आपत्ति भी दर्ज कराई थी. लेकिन भारत सरकार ने साफ कर दिया कि वो अपना काम पूरा करेगी. नाराज चीन ने भारत को चेतावनी भी दी. और सीमा विवाद बढ़ जाने की बात भी कही थी. जब उसकी चेतावनी का भारत पर कोई असर नहीं हुआ. चीन के बारे ये ताजा खुलासा उसकी 60 साल पुरानी भारत-विरोधी धूर्त रणनीति का ही हिस्सा है.

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