'उगते सूरज की जमीन' अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा. भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश के लिए सरहद पार से एक नए तरह का खतरा सियांग नदी के पानी के साथ आ रहा है. चीन में उद्गम रखने वाली सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश के लिए सदियों से पानी का मुख्य स्रोत रही है. ये नदी अचानक पिछले कुछ दिनों से काली पड़ गई है. सियांग नदी पासीघाट से भारत में दाखिल होती है.
सियांग नदी के पानी में सीमेंट जैसा मिला हुआ कुछ दिख रहा है. सर्दियों में हर साल इस नदी का पानी साफ दिखाई देता है. लेकिन इस साल अरुणाचल प्रदेश के लोग, खास तौर पर पासीघाट में रहने वाले, सियांग नदी में साफ पानी की जगह कीचड़ की भरमार देखकर हैरान हैं. नदी के पानी में बड़ी संख्या में मछलियों को मृत देखा गया है.
सियांग नदी के पानी को इस्तेमाल करने के लिए उपयुकत नहीं माना जा रहा है. पूर्व सियांग जिले के प्रशासन ने नदी के पानी को लेकर चेतावनी भी जारी की है.
अरुणाचल प्रदेश से कांग्रेस सांसद निनोंग एरिंग ने सियांग नदी के पानी का मुआयना करने के बाद कहा कि इस हरकत के लिए चीन जिम्मेदार हो सकता है. एरिंग के मुताबिक भारत की तरफ बह कर आने वाली नदियों का रुख मोड़ने की चीन साजिश कर रहा है. एरिंग ने आशंका जताई कि हो सकता है कि सियांग नदी के जरिए चीन ने ऐसी शुरूआत की हो.
सांसद एरिंग ने कहा, 'सियांग नदी के रुख को चीन की ओर से संभावित तौर पर मोड़े जाने को लेकर मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख रहा हूं. पानी का रंग बदलने के पीछे जरूर कोई कारण है. हो सकता है कि बांध बनाए जा रहे हों और जमीन की खुदाई से निकली मिट्टी नदी के पानी के साथ बह कर आ रही हो. जो भी हो ये बहुत गंभीर मामला है.'
सरहद से सटे क्षेत्रों में रहने वाले लोग सियांग नदी में कीचड़ की भरमार देखकर हैरान-परेशान हैं. सियांग नदी के पानी को जिसे कभी शुद्ध माना जाता था उसे अब पीने के लिए तो दूर किसी भी और इस्तेमाल के लिए सही नहीं माना जा रहा.
पूर्व सियांग जिला प्रशासन ने सियांग नदी के पानी के सेम्पल लेकर केंद्रीय जल आयोग को भेजे हैं. सियांग को ब्रह्मपुत्र की अहम नदी माना जाता है. दक्षिणी तिब्बत में 1600 किलोमीटर रास्ता तय करते वक्त सियांग नदी को यारलुंग सांगपो या यारलुंग जांग्बो के नाम से जाना जाता है. भारत में दाखिल होने के बाद इस नदी को सियांग या दिहांग नाम से जाना जाता है. ये 230 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद लोहित से जुड़ती है. पासीघाट से 35 किलोमीटर नीचे की दिशा में बहने के बाद डिबांग इससे जुड़ती है. इसके बाद ब्रह्मपुत्र बनती है.
यारलुंग सांगपो नदी का रुख तिब्बत से शिनजियांग प्रांत के ताकलीमाकान की ओर मोड़ने के लिए चीन दुनिया की सबसे लंबी सुरंग के निर्माण की योजना बना रहा है. हालांकि सार्वजनिक तौर पर चीन ऐसी किसी योजना से इनकार करता रहा है