अचानक सामने आए घटनाक्रम के तहत भारत और चीन ने लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर से अपनी सेना पीछे हटा ली है. डीबीओ सेक्टर में करीब तीन हफ्ते पहले चीनी सैनिक घुस आए थे. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी.
पिछले 15 अप्रैल को करीब 50 की तादाद में चीनी सेना वाहनों और कुत्तों से लैस होकर डीबीओ सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार भारतीय सीमा के 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आयी थी और पांच टेंट गाड़ दिए थे. भारतीय सेना ने भी चीनी सेना की ओर रुख करके 300 मीटर की दूरी पर अपने टेंट गाड़ दिए थे.
दोनों देशों की सेना के बीच चार फ्लैग मीटिंग हुई थी. शनिवार को भी एक फ्लैग मीटिंग हुई. हालांकि, इन फ्लैग मीटिंग से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका था. टकराव खत्म करने के लिए उच्च स्तर पर कूटनीतिक प्रयास भी जारी थे. आखिरकार भारत और चीन के बीच रविवार शाम इस बात पर सहमति बनी कि गतिरोध बिंदु से दोनों देश अपनी सेना को पीछे हटाएंगे. सूत्रों ने बताया कि इस बाबत शाम 7 बजकर 30 मिनट पर सहमति बनी.
सूत्रों ने कहा कि सेना को पीछे हटाने से पहले स्थानीय स्तर पर भारतीय और चीनी पक्ष के कमांडरों ने हाथ मिलाए.
बहरहाल, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि चीनी सेना एलएसी के पार जाकर 15 अप्रैल की स्थिति पर वापस जाएगी कि नहीं. भारत की मांग रही है कि चीनी सेना 15 अप्रैल की स्थिति पर वापस चली जाए.
लद्दाख में टकराव की स्थिति के कारण विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की 9 मई को प्रस्तावित चीन यात्रा पर ग्रहण लगता नजर आ रहा था. चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग की 20 मई की प्रस्तावित भारत यात्रा की जमीन तैयार करने के लिए खुर्शीद चीन जाने वाले हैं. खुर्शीद ने तीन मई को ईरान जाते वक्त पत्रकारों को बताया था कि लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए जारी वार्ता में प्रगति संतोषजनक नहीं हैं.
विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत को चीन से ‘इससे कहीं ज्यादा बेहतर’ प्रतिक्रिया की आस थी. उन्होंने जोर देकर कहा था कि वह चाहते हैं कि लद्दाख की जिस दिपसांग घाटी में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की वहां पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाए.