पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हालिया टकराव के दौरान न सिर्फ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की पीठ पीछे छुरा घोंपने वाले हथकंडे सामने आए बल्कि चीन का निर्लज्ज और आक्रामक बर्ताव भी बेनकाब हुआ.
गलवान प्रकरण को चीनी प्रोपेगेंडा मशीनरी के बड़े संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जो पिछले दो महीनों से मंसूबे को पूरा करने के लिए जुटी हुई थी. इस मशीनरी की ओर से भारत पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अतिक्रमण के आरोप लगाए जा रहे थे. LAC दोनों देशों के बीच ऐसी रेखा है जिसे अभी तक जमीन या नक्शे पर सीमांकित किया जाना बाकी है. चीन ने ऐसे ही दावों की आड़ में आगे आने और LAC के विवादित क्षेत्रों पर कब्जे के लिए बहाना बनाया. यहां तक कि जिन जगहों पर विवाद नहीं है, वहां भी चीन ऐसी नापाक हरकतें करने की कोशिश कर रहा है.
चीन की सैटेलाइट तस्वीरें
चीन ने हाल ही में गलवान माउथ या मुहाने की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों पर कोई तारीख नहीं है लेकिन ये हाल में ही ली गई लगती हैं.
तस्वीर जिसकी आसानी से पहचान की जा सकती है कि वो सामान्य गलवान घाटी क्षेत्र की लगती है. तस्वीर में पुल दिखाई दे रहे हैं जिससे संकेत मिलता है कि ये जून 2020 में ली गई है.
ये तस्वीर चीनी इंटरनेट, खास तौर पर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट Weibo पर वायरल हो रही है.
प्रोपेगेंडा औजार की तरह सैटेलाइट तस्वीर
चीन हालिया सैटेलाइट तस्वीरों को एक प्रोपेगेंडा औजार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. ये चीन की ओर से खुद की सैटेलाइट तस्वीरें लेने की क्षमता और उनकी मॉनिटरिंग फ्रीक्वेंसी दिखाने की कोशिश है.
तस्वीरें स्पष्ट रूप से सब-मीटर रिजोल्यूशन की नहीं है. इससे पता चलता है कि चीन के पास अब भी हाई रिजोल्यूशन तस्वीरों की क्षमता नहीं है, हालांकि वो इसके आसपास जरूर पहुंच गया लगता है.
पृथ्वी के ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट
तो चीन की पृथ्वी के ऑब्जर्वेशन की क्षमता क्या है? चीन ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से पृथ्वी के ऑब्जर्वेशन की कोशिशों को विकसित किया है-
Gaofen - सैटेलाइट्स की सीरीज सुनिश्चित करती है कि वैश्विक स्तर पर हाई रेजोल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें इकट्ठी की जा सकें.
Haiyang - सैटेलाइट्स की सीरीज विशाल महासागरों पर डेटा एकत्र करती है.
Fengyun - ये कार्यक्रम देश की मौसम पूर्वानुमान संबंधी जरूरतों को पूरा करता है.
Huanjing - ये प्रोजेक्ट पर्यावरण और आपदा निगरानी से संबंधित है.
Ziyuan - अन्य संसाधन सैटेलाइट जो ब्राजील और अफ्रीकी देशों की मदद करते हैं.
सैटेलाइट रीविजिट टाइम
हालांकि चीन के पास बहुत उन्नत चरण में विभिन्न सैटेलाइट कार्यक्रम हैं, विशेष रूप से कम्युनिकेशन्स सैटेलाइट सीरीज- Beidu. लेकिन जहां तक पृथ्वी के ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट्स का संबंध है, वे असल में बहुत उन्नत नहीं है.
तस्वीरों की तारीखें बताती हैं कि पुनरीक्षण या रीविजिट की अवधि पांच दिनों की है जो बहुत सामान्य है और लो अर्थ ऑरबिट सैटेलाइट्स (पृथ्वी की निचली कक्षा के सैटेलाइट) की नियमित क्षमता है जो सैन्य उद्देश्यों के लिए 1976 से इस्तेमाल हो रही है. यहां तक कि भारत की ओर से भी.
भारत और दुनिया के बाकी देश इंतजार कर रहे हैं कि चीन कब UAVs से ली प्रतिबंधित तस्वीरें जारी करता है जिससे गतिरोध के उनके ऑब्जर्वेशन के स्टैंडर्ड का पता लगाया जा सके.
(कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट इंडिया टुडे के कंसल्टेंट हैं, वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं और उन्होंने 33 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवा की)