चीन के नए पैतरे बता रहे हैं कि वह पाकिस्तान को अपना गुलाम बनाने की फिराक में है. पहले आर्थिक तौर पर और फिर सामरिक तौर पर. चीन ने ऐसी चालें चली हैं कि धीरे-धीरे पाकिस्तान अपनी हर जरूरत के लिए चीन पर निर्भर होता जाएगा. और चीन जिस दिन चाहेगा उसे ठप कर देगा. लेकिन पाकिस्तान भारत को परेशान करने के लिए इस कदर बेसब्र हो उठा है कि उसने अपनी संप्रभुता को ही दांव पर लगा दिया है.
अब एक बात साफ हो गई है कि पाकिस्तान और चीन दोनों ही भारत को अपने लिए खतरा मानते हैं. यह भय वह चुंबकीय आकर्षण है तो दो ध्रुवों की राजनीति करने के बावजूद दोनों देशों को इतना करीब ले आया है. खासकर पाकिस्तान की माली हालत बहुत खस्ता है. विकास के रास्ते पर पाकिस्तान को ले जाने का नवाज शरीफ का दावा झूठा साबित हुआ है. इसी झूठ को छिपाने के लिए वो पाकिस्तान की संप्रभुता को चीन की चौखट पर गिरवी रखने को तैयार हो गए हैं.
पाकिस्तान की मजबूती से मदद कर रहा चीन
जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा, "पाकिस्तान में ना सिर्फ पैसा लगा रहा है बल्कि वहां के आतंकवादियों को भी बचा रहा है. लेकिन अफसोस की बात है कि जिस मजबूती के साथ चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है वैसा हमारे साथ कोई भी देश नहीं है."
चीन के सामने शरीफ का समर्पण पाकिस्तानियों को पसंद नहीं आ रहा. कई इलाकों में तो भयानक हिंसक विरोध हो रहे हैं. दो चीनी अधिकारियों की हत्या हो चुकी है. नतीजतन पाकिस्तान सरकार ने पंद्रह हजार सैनिकों को चीनी अधिकारियों की सुरक्षा में लगाया है. पाकिस्तानी सेना को चीनी नागरिकों की हिफाजत के लिए अलग से दो इनफैंट्री डिविजन का गठन करना पड़ा है. लेकिन यह काफी नहीं है. जिस पैमाने पर चीन ने पाकिस्तान में ऊर्जा, खेती, पत्तन, उद्योग और कपड़ा उद्योग में निवेश का विस्तार किया है उसे सैनिक सुरक्षा में लंबे समय तक नहीं चलाया जा सकता.
हमें पैनी निगाह रखने की जरूरत
कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता माजिद मेनन ने इस मुद्दे पर कहा, "हमें इस पर पैनी निगाह रखनी होगी क्योंकि हमारे लिए खतरा हो सकता है. कहीं ऐसा ना हो कि अचानक एक दिन हमें झटका लगा. चीन पाकिस्तान को कॉलोनी जैसा बना कर हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है."
पाकिस्तान भारत को नीचा दिखाने के लिए इतनी जल्दबाजी में है कि अपनी संप्रभुता तक की परवाह करने को तैयार नहीं है. लाहौर स्टॉक एक्सचेंज में चीन ने अपनी हिस्सेदारी खरीदी है. 20 साल में 80 फीसदी ऊर्जा की आपूर्ति चीन के हाथ में होगी. राष्ट्रीय राजमार्गों की देखरेख चीनी कंपनियों के हाथ में होगी. सबसे बड़ा बंदरगाह चीनी कंपिनियों के हाथों में होगा. पर्यटन, फूड प्रोसेसिंग और कपड़ा उद्योग पर चीन का कब्जा होगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा, "हम यूं ही नहीं कह रहे हैं कि पाकिस्तान चीन की गुलामी की ओर बढ रहा है। पाकिस्तान आज हथियार आयात का सबसे बड़ा हिस्सा चीन से खरीदता है। चीन चुन-चुनकर पाकिस्तान को उसी तरह के हथियार दे रहा है जो भारत के बेड़े में मौजूद हथियारों की काट बन सकें."
पाकिस्तानी स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई
पाकिस्तान की अपनी खूफिया एजेंसियों का आकलन है कि जब से सीपीईसी का एलान हुआ है अकेले इस्लामाबाद में 50 हजार से ज्यादा चीनी नागरिक रह रहे हैं. चीनी लोग पूरा का पूरा अपार्टमेंट बुक कर रहे हैं. पाकिस्तानी स्कूलों में चीनी भाषा की पढ़ाई शुरू हो गई है.
भारत से दुश्मनी दोनों को साथ लाई
मतलब चीन पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों पर कब्जा करने की सिलसिलेवार तैयारी कर चुका है. जिस तरह से पाकिस्तान चीनी हथियारों पर निर्भर होता जा रहा है उसे देखकर ये कहना नामुनासिब नहीं कि आने वाले दिनों में चीन पाकिस्तान को अपनी सामरिक जरूरतों के लिए भी इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगा. और यह सब सिर्फ इसलिए कि चीन और पाकिस्तान भारत को नीचा दिखाना चाहते हैं. पाकिस्तान अभी यह समझ नहीं पा रहा कि अपनी संप्रभुता से यह खिलवाड़ अंत में उसे चीन का गुलाम बनाकर छोड़ देगा.