लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हाल ही भारतीय और चीनी सैनिक दो बार एक-दूसरे के सामने आ गए. इसी क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अप्रैल 2013 में तंबू लगा लिए थे, जिससे तीन सप्ताह तक गतिरोध रहा था.
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के मुताबिक, चीनी सैनिक ओल्ड पैट्रोल प्वाइंट तक पहुंचने की कोशिश के तहत 20 मार्च और 28 मार्च को बुरत्से और देपसांग क्षेत्रों में आ गए थे. ओल्ड पैट्रोल प्वाइंट भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा स्थापित अंतिम अड्डा है. उन्होंने बताया कि पीएलए सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिशों को विफल कर दिया गया है.
'बैनर दिखाकर लौटने को कहा'
चौकस भारतीय सैनिकों ने चीनी भाषा में बैनर
दिखाए और पीएलए से अपनी ओर लौट जाने को कहा. इस घटना के बाद भारतीय सैनिक पीएलए की
गतिविधियों पर अंकुश रखने के लिए एलएसी के समीप उंचाई वाले स्थलों पर नियमित रूप से गश्ती कर रहे
हैं.
4000 किलोमीटर की है एलएसी
भारत और चीन के बीच एलएसी 4000 किलोमीटर है. चीन
अरूणाचल प्रदेश में करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर और जम्मू कश्मीर में 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर
दावा करता है. जिस क्षेत्र में चीनी सैनिक आ घुसे, वहां अप्रैल, 2013 में पीएलए और भारतीय सैनिकों के
बीच 21 दिनों तक गतिरोध रहा था. यह घटना तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग की भारत यात्रा से
पहले हुई थी. दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह मामला सुलझा था और चीनी सैनिक लौट
गए थे.
चीन का घुसपैठ से इनकार
चीन पीएलए द्वारा बार बार घुसपैठ किए जाने के विषय में हमेशा
इनकार की मुद्रा में रहा है. साल 2013 की घटना के दौरान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल गेंग याशेंग ने कहा
था कि ऐसे मुद्दे होते हैं क्योंकि सीमा रेखा का सीमांकन नहीं हुआ है और दोनों पक्ष की वास्तविक नियंत्रण
रेखा को लेकर अपनी अपनी व्याख्याएं हैं.
इनपुट भाषा