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कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा पर चीन का अड़ंगा, नाथू-ला के रास्ते जा रहे 2 जत्थों को रोका

सिक्किम के नाथू-ला पास पहुंचे मानसरोवर यात्रा के दो जत्थों को चीन के बॉर्डर से वापस लौटा दिए जाने की खबर से राजधानी दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों की चिंता बढ़ गई है.

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कैलाश मानसरोवर
कैलाश मानसरोवर

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सिक्किम के नाथू-ला पास पहुंचे मानसरोवर यात्रा के दो जत्थों को चीन के बॉर्डर से वापस लौटा दिए जाने की खबर से राजधानी दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों की चिंता बढ़ गई है. दिल्ली में मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाले लोगों के लिए ठहराने की व्यवस्था गुजराती समाज भवन में रहती है और यहां पर तीसरे जत्थे के तीर्थयात्री मेडिकल चेकअप के लिए आ चुके हैं. इन यात्रियों को मेडिकल चेकअप में फिटनेस मिलने के बाद 27 जून को नाथू-ला के लिए रवाना किया जाएगा.

दिल्ली में तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित हैं कि पहले रवाना किए गए दोनों जत्थों को चीन ने वापस लौटा दिया है. पहले जत्थे में 47 लोग हैं और दूसरे जत्थे में 44 लोग. मानसरोवर यात्रा के दोनों जत्थों को चीन ने नाथू-ला दर्रे से वापस लौटा दिया है.

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वैसे इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि तिब्बत में मानसरोवर की यात्रा के रास्ते में लैंडस्लाइड हुई है, लिहाजा अभी यात्रा नहीं कराई जा सकती है. कमल बंसल के मुताबिक तीर्थयात्रियों को फिलहाल गंगटोक में रखा गया है. सिक्किम टूरिज्म इन लोगों का पूरा ख्याल रख रही है. उन्होंने ये भी जानकारी दी कि चीन के इंकार को देखते हुए दिल्ली सरकार ने विदेश मंत्रालय से इस मामले में दखल देने की गुजारिश की है, लेकिन अभी तक तीर्थ यात्रा विकास समिति के पास विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई खास जानकारी नहीं आई है.

गौरतलब है कि असम में अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले ब्रम्हपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया था. इस उद्घाटन के बाद चीन के रवैये में बदलाव आया है. इसके बाद चीन ने नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए पहले से तय 8 जत्थों की अनुमति को घटाकर महज 7 जत्थों तक सीमिति कर दी थी. ऐसे में नाथू-ला के जरिए मानसरोवर यात्रा के लिए निकले पहले दो जत्थों को बॉर्डर से बैरंग वापस लौटा देने को भी संशय की निगाह से देखा जा रहा है. दिल्ली में तीर्थ यात्रा विकास समिति के चेयरमैन कमल बंसल का कहना है कि दोनों जत्थों में गए यात्रियों के रिश्तेदारों के फोन उनको लगातार आ रहे हैं और वो उनको सही-सही जवाब नहीं दे पा रहे हैं.

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उधर मानसरोवर यात्रा के लिए दिल्ली में ठहरे हुए तीसरे जत्थे के यात्रियों का कहना है कि यात्रा को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है. भारत सरकार को इस मसले पर जल्द ही पहल करनी चाहिए. यात्रियों को उम्मीद है कि चीन अपने बॉर्डर को मानसरोवर यात्रियों के लिए खोलेगा और उनकी मुराद पूरी होगी.

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