चीन ने एक बार फिर भारतीय सीमा में घुसपैठ की है. आधिकारिक सूत्रों से खबर आई है कि इस बार लेह से करीब 300 किलोमीटर दूर चुमार इलाके में चीन के हेलीकॉप्टर घुसे थे. ये घुसपैठ 21 अप्रैल को हुई थी.
उस दिन काफी देर तक भारतीय सीमा में चीनी के हेलीकॉप्टर हवा में मंडराते रहे. जाने से पहले उन लोगों ने कुछ खाने पीने-के सामान के कैन, सिगरेट के पैकेट और स्थानीय भाषा में लिखे नोट गिराए थे.
पिछले साल सितंबर महीने में भी चीन के हेलीकॉप्टर इस इलाके में घुसे आए थे, तब यहां चीन के कुछ जवान भी उतरे थे और भारतीय फौज के कुछ पुराने बंकरों और टेंट को तहस-नहस कर दिया था.
वहीं, भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ पर तनाव बढ़ता जा रहा है. लद्दाख के दौलतबेग ओल्डी इलाके में 10 किलोमीटर भीतर तक घुस आई चीनी फौज इसे अपना हिस्सा बता रही है. इस मुद्दे पर भारतीय और चीनी फौज के बड़े अफसरों के बीच करीब 3 घंटे की बैठक हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
चीनी फौज ने दौलतबेग ओल्डी इलाके से वापस जाने से इनकार कर दिया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि चीन के रुख को देखते हुए अब भारत भी फौज की एक टुकड़ी इस इलाके में भेजने पर विचार कर रहा है. सेना की लद्दाख स्क्वाड को पहले ही इलाके में भेजा जा चुका है.
भारत की ओर से सीमा पर यथास्थिति बहाल करने की मांग को नजरअंदाज करते हुए चीन ने एक बार फिर अपने पहले के रुख को कायम रखा और कहा कि उसके सैनिकों ने लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन नहीं किया है.
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं इस बात को दोहराना चाहती हूं कि चीन के सैनिक द्विपक्षीय समझौतों का कड़ाई के साथ पालन करते हुए काम कर रहे हैं और एलएसी पर अपनी ओर सामान्य गश्त लगा रहे हैं.’ वह दोनों देशों की सेना के बीच मंगलवार को हुई फ्लैग मीटिंग और भारत की ओर से यथास्थिति बहाल करने की मांग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रही थीं.
हुआ ने बीते 22 अप्रैल को दिए अपने बयान को दोहराया. इससे साफ होता है कि चीन इस रुख पर कायम है कि एलएसी का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और बातचीत के जरिए समाधान निकाले जाने तक उसके सैनिक उसी स्थान पर बने रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सीमा विवाद पर विचार-विमर्श व्यवस्था के तहत इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ‘संपर्क माध्यम’ खोले हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एलएसी पर बनी सहमति पर अडिग रहना चाहिए. हुआ ने कहा, ‘दोनों पक्षों को सहमति का पालन करना चाहिए जो दोनों के हित में है. दोनों पक्षों को सीमा मुद्दों का मौजूदा व्यवस्थाओं के तहत समाधान करने और द्विपक्षीय संबंधों के अनुकूल माहौल बनाने के मकसद से मिलकर काम करना चाहिए.’ इस पूरे विवाद के सामने आने के बाद यह पहला मौका है जब चीन ने स्वीकार किया है कि इस मुद्दे पर दोनों देश चर्चा कर रहे हैं.
मंगलवार को फ्लैग मीटिंग के बाद भारत ने चीन से कहा था कि लद्दाख की देपसांग घाटी में यथास्थिति बहाल की जाए. भारतीय सेना ने आरोप लगाया था कि चीन के सैनिक भारतीय सीमा में करीब 10 किलोमीटर अंदर घुस आए हैं. यह घटना उस वक्त हुई है जब चीन के नए प्रधानमंत्री ली क्विंग के अगले महीने नई दिल्ली का दौरा करने की योजना है.