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चीन की भारत को धमकी, दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर चीन में होगा फैसला

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा की बढ़ती उम्र के साथ उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. दलाई लामा 60 साल पहले चीन की कार्रवाई से बचने के लिए तिब्बत से भारत आ गए थे.

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बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा (फाइल फोटो)
बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा (फाइल फोटो)

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बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा की बढ़ती उम्र के साथ उनके उत्तराधिकारी को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. दलाई लामा 60 साल पहले चीन की कार्रवाई से बचने के लिए तिब्बत से भारत आ गए थे. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला को अपना घर बनाने वाले तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु को कई दशकों से भारत सरकार ने राजनीतिक शरण दे रखी है. जिससे चीन की बेचैनी बढ़ी हुई है.

समाजार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक इस मामले में चीन ने हाल ही में भारत को धमकी देते हुए कहा था कि 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी पर निर्णय चीन में ही लिया जाएगा. चीन ने भारत को धमकी दी थी कि भारत ने अगर इस मामले में दखल दिया तो इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा. जहां भारत सरकार इस मुद्दे पर शांत है, वहीं पूर्व राजनयिकों का कहना है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने के पीछे चीन की मंशा बौद्ध मामलों पर नियंत्रण करने की है.

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विशेषज्ञों के अनुसार, चीन के लिए कब्जे वाले तिब्बत में धीरे-धीरे उबल रहे आंदोलन को रोकने के लिए दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनना एक अच्छा तरीका साबित हो सकता है. उनके अनुसार, चीन यदि 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव करता है तो तिब्बत में आजादी का आंदोलन शांत हो जाएगा. तिब्बत में आंदोलन के तहत कभी-कभी बौद्ध भिक्षुओं द्वारा आत्मदाह किया जाता है लेकिन चीन के कड़े नियंत्रण के कारण इसकी जानकारी नहीं मिलती है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक के कांत का कहना है, "दलाई लामा को दोबारा तय करने के लिए चीन ने अपने नियमों को लागू किया है और वे दावा करते हैं कि यह उनके नियम के अनुसार होना चाहिए, वहीं इसके लिए दलाई लामा का अपना अलग विचार है."

उन्होंने कहा, "दलाई लामा नहीं मानते कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया में चीन की भूमिका होनी चाहिए और उन्होंने इस संबंध में कोई संकेत नहीं दिया कि उनके उत्तराधिकारी और उसके पद की पहचान कैसे होगी.'' एक पूर्व राजनयिक ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है भारत सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है.

चीन में साल 2016 तक भारतीय राजदूत रहे और इंस्टीट्यूट ऑफ चाइनीज स्टडीज के निदेशक ने कहा कि दलाई लामा ने अब इस बारे में सोचना छोड़ दिया है कि उनके उत्तराधिकारी कैसे चुने जाएंगे.

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