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अलग है चीन के अतिक्रमण का तरीकाः विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अनसुलझे सीमा विवाद समेत अपने ‘महत्वपूर्ण हितों’ का विस्तार कर रहा है. साथ ही उनका मानना है कि भारत को उसका माकूल उत्तर देने के लिए अपने सामरिक और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता का विस्तार करना चाहिए?

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विशेषज्ञों का मानना है कि चीन भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर धीरे-धीरे अतिक्रमण कर अनसुलझे सीमा विवाद समेत अपने ‘महत्वपूर्ण हितों’ का विस्तार कर रहा है

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चीन में भारत के पूर्व राजदूत टी.सी.ए. रंगाचारी के मुताबिक चीन का अतिक्रमण उसके पूर्व के आक्रामक अतिक्रमण से बहुत भिन्न है. उन्होंने कहा कि इस बार लद्दाख के देपसांग क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में 19 किलोमीटर अंदर अपनी उपस्थिति स्थापित की है.

वास्तविक नियंत्रण रेखा या 1962 से युद्ध विराम रेखा का दोनों पक्ष का नक्शा समरूप नहीं है और कई दौर की वार्ता के बाद भी मुद्दे का समाधान नहीं हो पाया है.

रंगाचारी ने कहा कि यह सवाल किया जाना जरूरी है कि क्या चीनी अपने नक्शे के मुताबिक भू स्थिति को प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है? यदि इसके लिए कदम-दर-कदम की युक्ति अमल में लाई जा रही है तो इस तरह के और मामले सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि चीन ने अभी तक यही कहा है कि उसने एलएसी का अतिक्रमण नहीं किया है.

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कोई भी चीन को नजरअंदाज नहीं करे. चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव का प्रभार ग्रहण करने के बाद जनवरी में विदेश नीति पर अपने पहले प्रकाशित संबोधन में कहा था कि तिब्बत और ताइवान समेत बीजिंग अपने ‘महत्वपूर्ण हितों’ की रक्षा करेगा.

विशेषज्ञ ने कहा कि चीन में इस बात पर चल रही बहस कि देश के महत्वपूर्ण हितों में क्या शामिल हैं और किस तरह वह दुनिया के सामने इसे प्रदर्शित करेगा, को देखते हुए हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि कुछ बिंदुओं पर भारत-चीन सीमा भी चीन के महत्वपूर्ण हितों का हिस्सा बनेगा.

सेवानिवृत्त कूटनीतिज्ञ पी. स्टोबडन ने कहा कि चीनी अतिक्रमण संसाधन संपन्न क्षेत्र में हुआ है. इस क्षेत्र में 2006 में वैज्ञानिकों ने अत्यंत उच्च गुणवत्ता का यूरेनियम की मौजूदगी के साथ-साथ उच्च थर्मल सल्फर उत्सर्जन का पता लगाया था. इससे 1000 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन पीठ के पूर्वी एशियाई अध्ययन केंद्र में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर और विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली के मुताबिक, 'चीन ने गिलगित और बालतिस्तान में एक पनबिजली परियोजना में 32 अरब डॉलर निवेश करने के अलावा पाकिस्तान के उत्तरी हिस्से में भारी निवेश किया है. वह काराकोरम मार्ग को 32 मीटर चौड़ा करने जा रहा है जिसका इस्तेमाल विमानों के लिए भी किया जाएगा.'

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कोंडापल्ली ने भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया.

ले.जन (सेनि) जे.एस. बाजवा ने कहा कि भारत सरकार एलएसी पर तैनात सशस्त्र बल के लिए हथियार खरीदने में भारत सरकार सुस्त चाल चलती रही है.

बीजेपी के राज्य सभा सदस्य तरुण विजय ने कहा कि चीनी जो कह रहा है उस पर ध्यान देना अत्यंत जरूरी है. उन्होंने स्पष्ट रूप से हमें कह दिया है कि हम अब यहां से हटने वाले नहीं और यह समस्या यहीं खत्म नहीं होने वाली.

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