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चीनी मीडिया ने कसा तंज- 'सबसे खूबसूरत महिला' बना रहना चाहता है भारत, जिसे सब लुभाएं

भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने चीनी अधिकारियों के साथ वार्ता के लिए सोमवार को चीन की अपनी पहली यात्रा शुरू की है.

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चीन की सरकारी मीडिया ने अमेरिका के साथ लॉजिस्टिक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के भारत के निर्णय को अधिक महत्व नहीं देते हुए सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच अविश्वास के कारण प्रस्तावित समझौता रुका हुआ है क्योंकि भारत एक ऐसी 'सबसे खूबसूरत महिला' बनना चाहता है जिसे सभी खासकर अमेरिका और चीन अपनी ओर लुभाएं.

भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने चीनी अधिकारियों के साथ वार्ता के लिए सोमवार को चीन की अपनी पहली यात्रा शुरू की है. ऐसे में सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा, ‘उनके पारंपरिक अविश्वास के बावजूद भारत-अमेरिका के गठबंध की अटकलें लगाना महाशक्तियों के बीच झूलने वाले देश की भूमिका निभाने की भारत की महत्वाकांक्षा को स्पष्ट रूप से कम करके आंकना है.’

'भारत के लिए नई नहीं है ये भूमिका'
‘एलएसए हस्ताक्षर को रोक रहा भारत-अमेरिका का रणनीतिक अविश्वास’ शीर्षक से छपे लेख में कहा गया है, ‘मूल बात यह है कि भारत सबसे खूबसूत महिला बना रहना चाहता है जिसे सभी पुरुष, खासकर दो सबसे मजबूत देश यानी अमेरिका और चीन लुभाएं.’ उसने कहा, ‘यह भारत के लिए यह कोई नई भूमिका नहीं है. हम अब भी याद कर सकते है कि अपनी कूटनीतिक चतुराई के कारण किस प्रकार उसने शीत युद्ध के दौरान दो प्रतिद्वंद्वी धड़ों के बीच विशेष भूमिका हासिल की थी.’

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अमेरिकी विदेश मंत्री ने की थी घोषणा
अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने पिछले सप्ताह भारत की तीन दिवसीय यात्रा में घोषणा की थी कि वह और उनके भारतीय समकक्ष ने इस मामले में सैद्धांतिक सहमति जताई है कि लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते (एलएसए) संबंधी सभी मसलों को सुलझा लिया गया है और दोनों पक्ष आगामी सप्ताह में इसका मूल खाका तैयार कर लेंगे. अखबार ने एलएसए पर हस्ताक्षर करने के भारत के निर्णय को रेखांकित करते हुए कहा कि साजो सामान के विनिमय संबंधी समझौते ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ये अटकलें शुरू कर दी हैं कि दोनों पक्ष चीन को नियंत्रित करने के लिए एक ही नौका में सवार हैं.

'भारत के दांव से हो सकता है खतरा'
अखबार में छपे लेख में कहा गया है, ‘भारत के कूटनीतिक दांव पेंच से चीन-रूस-भारत त्रिकोण और ब्रिक्स के बीच सहयोग को नुकसान पहुंचने का खतरा है.’ इसने साथ ही कहा, ‘भू राजनीति में अमेरिका और चीन और रूस के बीच तनाव ने भारत को सराहनीय रणनीतिक अवसर मुहैया कराए हैं.’ लेख में कहा गया है कि हालांकि भारतीय अधिकारियों और विद्वानों का दावा है कि भारत की पारंपरिक गुट निरपेक्षता की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है और वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता, गुट निरपेक्षता बनाए रखेगा.

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