चीनी सेना ने एक बार भारत को उकसाने की कोशिश की है. अंग्रेजी अखबार डीएनए के मुताबिक, 17 जून को चीनी सैनिक लेह-लद्दाख के चुमार में घुस आए थे और उन्होंने स्थानीय लोगों को हिंदी में धमकी दी थी. यह इलाका दौलतबेग ओल्डी से ज्यादा दूर नहीं है, जहां चीनी घुसपैठ को लेकर अप्रैल में विवाद हुआ था.
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के लगाए हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे भी तोड़ दिए. इन कैमरों को महीने भर पहले दौलतबेग ओल्डी विवाद के बाद निगरानी के मकसद से लगाया गया था.
घटना पर सेना मुख्यालय कुछ भी बोलने से इनकार कर रहा है. बताया जा रहा है कि 3 जुलाई को चुसुल इलाके में हुई एक फ्लैग मीटिंग के दौरान भारतीय सेना को टूटा हुआ कैमरा वापस भी किया गया.
घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिक हिंदी बोल रहे थे. उन्होंने स्थानीय लोगों से कहा कि यह जमीन हमारी है, इसे छोड़कर चले जाओ. अपुष्ट खबरों के मुताबिक, उन्होंने ग्रामीणों को हिंदी में गाली भी दी. घटना की सूचना खुफिया एजेंसियों ने भारत सरकार को दी. आईटीबीपी ने खबर की पुष्टि की. लेकिन बात को दबा दिया गया, क्योंकि उत्तराखंड आपदा से जूझ रही सरकार किसी अंतर्राष्ट्रीय विवाद को हवा नहीं देना चाहती थी.
चीनी सैनिकों ने यह हरकत तब की है, जब अगले महीने ही रक्षा मंत्री एके एंटनी चीन दौरे पर जाने वाले हैं. एक वरिष्ठ सरकारी विश्लेषक के मुताबिक, 'चीन में अंदरखाने जटिल सत्ता संघर्ष चल रहा है. इसी का नतीजा है कि दक्षिण चीन सागर और लेह-लद्दाख सेक्टर में वह आक्रामक हो गया है. वहां के नेता इन घटनाओं का इस्तेमाल अपना कद बढ़ाने के लिए कर रहे हैं.'
15 अप्रैल को करीब 50 की तादाद में चीनी सैनिक दौलतबेग ओल्डी इलाके में भारतीय सीमा के 19 किलोमीटर अंदर तक घुस आए थे. भारतीय सेना ने भी चीनी सेना की ओर रुख करके 300 मीटर की दूरी पर अपने टेंट गाड़ दिए थे.
इसके बाद समझौते के तौर पर दोनों सेनाएं पीछे हट गई थीं और भारतीय सेना ने चुमार सेक्टर में गश्त लगाना छोड़ दिया था. हालांकि 17 जून की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि इलाके में चीन की आक्रामकता कम नहीं हुई है.