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चीन ने फिर दिखाई आंख, लद्दाख में खड़ा किया एक और टेंट

लद्दाख में दो सप्ताह पहले भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद वापसी का कोई संकेत नहीं देते हुए चीनी सैनिकों ने दौलत बेग ओल्डी  सेक्टर में अपना एक अतिरिक्त टेंट खड़ा कर लिया और इसके साथ ही क्षेत्र में ऐसे ढांचों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है.

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लद्दाख में दो सप्ताह पहले भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद वापसी का कोई संकेत नहीं देते हुए चीनी सैनिकों ने दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर में अपना एक अतिरिक्त टेंट खड़ा कर लिया और इसके साथ ही क्षेत्र में ऐसे ढांचों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है.

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लद्दाख के बुर्तसे से 70 किलोमीटर दक्षिण स्थित घुसपैठ स्थल से मिली ताजा जानकारी के अनुसार चीनी सैनिकों ने चौकसी के लिए मोलोसेर कुत्ते रखे हुए हैं. इसमें कहा गया है कि चीनी पक्ष ने अपने टेंट की संख्या बढ़ाकर पांच कर ली है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शिविर के बाहर अंग्रेजी भाषा में एक बैनर लगा है जिस पर लिखा है, ‘आप चीन की तरफ हैं’. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) कर्मी मोलोसेर नस्ल के कुत्तों के साथ चौबीस घंटे चौकसी कर रहे हैं. इस नस्ल के कुत्ते इन उंचाई वाले क्षेत्रों में निगरानी कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं.

चीनी सैनिकों के अधिकारी चीनी माकारोव्स से लैस हैं जबकि पीएलए सैनिक एके श्रृंखला की भिन्न राइफलों से लैस हैं.

एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार चीनी सैनिकों द्वारा अतिरिक्त टेंट का निर्माण चाशूल में भारतीय और चीनी सेना के बीच तीन असफल फ्लैग मीटिंग के बाद हुआ है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) जवानों को आक्रामक गश्त के चलते चीनी सैनिकों को कम से कम नौ किलोमीटर पीछे ढकेलने में मदद मिली थी और उन्होंने वर्तमान स्थान पर डेरा जमा लिया. यह स्थान डीबीओ सेक्टर में भारतीय क्षेत्र में करीब 18 किलोमीटर भीतर स्थित है. यह सेक्टर 17 हजार फुट की ऊंचाई पर है.

गृह और रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटीबीपी के जवानों को घुसपैठ की जानकारी 15 और 16 अप्रैल की दरमियानी रात को मिली थी. आईटीबीपी ने इसके बाद अपना त्वरित प्रतिक्रिया दल भेजा जिसने ना केवल चीनी पीएलए कर्मियों को क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोक दिया बल्कि उसने उन्हें राखी नल्ला के पार पीछे ढकेल दिया.

सूत्रों ने कहा कि ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात आईटीबीपी जवानों ने जल्दी नहीं दिखायी होती तो स्थिति और बिगड़ सकती थी. चीनी सैनिकों ने हालांकि पीछे हटना रोक दिया और अपने टेंट उस स्थान पर खड़े कर दिये जो कि भारतीय क्षेत्र में 18 किलोमीटर भीतर था.

आईटीबीपी जवानों ने तत्काल झंड़े खड़े किये जिन पर चीनी सैनिकों को ‘शांति समझौते की याद दिलाने और उन्हें अपने क्षेत्र में लौट जाने को लेकर’ मंदारिन और अंग्रेजी भाषा में संदेश लिखे हुए थे.

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दोनों पक्षों के बीच आमने-सामने की स्थिति इसके बावजूद भी जारी है कि आईटीबीपी के जवानों को सेना की इंफेंट्री रेजीमेंट लद्दाख स्काउट्स की ओर से सहायता प्रदान की जा रही है.

सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों में से किसी की ओर से आक्रामक गश्त नहीं की जा रही है.

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