लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सांप्रदायिक नेता नहीं हैं. आजतक के कार्यक्रम सीधी बात में उन्होंने मोदी की तरफदारी करते हुए कहा कि वे विकास की राजनीति कर रहे हैं.
चिराग पासवान ने कहा, 'हकीकत यह है कि एनडीए से गठजोड़ हमारी मजबूरी बन गई. यह गठजोड़ सिर्फ मजबूरी ही नहीं, हमारी पार्टी की मजबूती भी साबित होगी, क्योंकि हमने यूपीए में बने रहने की बहुत कोशिश की. दो बार सोनियाजी से मिले. राहुल गांधी तो हमसे मिले तक नहीं. इसके बाद हमें एक मजबूत विकल्प की जरूरत थी, जो हमें बीजेपी में दिखा'.
इस सवाल पर कि राजनैतिक सिद्धांतों के आगे मजबूरी कैसी, चिराग पासवान ने कहा, 'एनडीए से जुड़ने के लिए हमने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया है. हमारा यह गठबंधन पूरी तरह मुद्दों पर आधारित है. 12 साल पहले भी जब हम एनडीए का हिस्सा थे, उस वक़्त भी हम अपने उसूलों पर कायम रहे.'
यह सवाल पूछे जाने पर कि कांग्रेस के तरजीह न देने पर एनडीए से गठजोड़ क्या मौक़ापरस्ती नहीं है, इसके जवाब में चिराग पासवान ने कहा, 'ये कतई मौकापरस्ती नहीं है. लोक जनशक्ति पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं को लगा कि कांग्रेस हमारी पार्टी को नजरअंदाज करके हमारा अपमान कर रही है. इसके बाद ही हमने बीजेपी को एक मज़बूत विकल्प के तौर पर चुना.'
इस सवाल पर कि रामविलास पासवान बीजेपी को हमेशा एक दंगाई पार्टी मानते रहे हैं, लेकिन सत्ता की लालच में रामविलास पासवान बीजेपी से जा मिले हैं, चिराग पासवान ने कहा, 'सत्ता के लिए नहीं, बल्कि मुद्दों के आधार पर ये गठजोड़ हुआ है. हमने एनडीए से जुड़ने के बाद भी दलितों, अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दों, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने और युवा कमीशन जैसे मसलों को छोड़ा नहीं है. हमारे ये तमाम मुद्दे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत एनडीए के मेनिफ़ेस्टो में शामिल किए जाएंगे.'
'बयान परिस्थिति के आधार पर होते हैं'
ये पूछे जाने पर कि कभी लोक जनशक्ति पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान ने बीजेपी को 'भारत जलाओ पार्टी' पुकारा, तो कभी यह बयान दिया कि आरएसएस के दबाव में बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. बीजेपी के साथ गठजोड़ करके क्या उनकी पार्टी सिद्धांतों को ताक़ पर नहीं रख रही है, इसके जवाब में चिराग पासवान ने कहा, 'बयान हमेशा परिस्थितियों के आधार पर दिए जाते हैं. हालात बदलने पर बयान बदल भी सकते हैं. रही बात सिद्धांतों की, तो अगर हम उसूलों से समझौता करते, तो 2002 में दंगों के बाद एनडीए से नाता न तोड़ते और न ही 2005 में बिहार में सरकार बनाने से चूकते, क्योंकि उस वक्त हमारी मांग थी कि बिहार का मुख्यमंत्री कोई अल्पसंख्यक हो.'
चिराग़ पासवान ने कहा, 'जब तक गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट नहीं दी थी, तब तक हम यूपीए के साथ बने रहना चाहते थे. लेकिन कांग्रेस हमारी पार्टी को कोई अहमियत नहीं दे रही थी. कभी कांग्रेस कहती थी कि वो बिहार की सभी चालीस लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ेगी, तो कभी कह रही थी कि वो लोक जनशक्ति पार्टी को बिहार में दो या तीन सीट देगी. यह हमारा अपमान था.'
मोदी कम्युनल हैं या सेक्युलर
चिराग पासवान नरेन्द्र मोदी को कम्युनल मानते हैं या सेक्युलर, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मोदी फ़िलहाल सांप्रदायिक नहीं, बल्कि विकास की राजनीति कर रहे हैं. इससे बड़ी सेक्युलर बात क्या हो सकती है कि बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मुसलमानों से माफ़ी भी मांगी है.
जब चिराग पासवान को यह याद दिलाया गया कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष ने 2002 में मोदी के इस्तीफ़े की मांग की थी, तो इसके जवाब में चिराग पासवान का कहना था कि 2002 में जो हुआ वो बहुत बुरा था, लेकिन हमें वक़्त के साथ चलते हुए आगे बढ़ना होगा.
इस सवाल पर कि क्या चिराग पासवान नरेन्द्र मोदी से प्रभावित हैं, चिराग ने कहा, 'पूरे देश का युवा मोदी से प्रभावित है, क्योंकि मोदी सिर्फ और सिर्फ विकास की बातें कर रहे हैं.