दिन हो या रात अब आपके मनोरंजन, सैर-सपाटे और शॉपिंग के शौक में कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी. दरअसल, केंद्र सरकार एक आदर्श कानून प्रस्तावित करने जा रही है, जिसमें इन मॉल, सिनेमा हॉल, रेस्त्रां समेत ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को हर दिन हर समय यानी 24 घंटे खुला रखने का प्रावधान होगा. कानून पास होने के बाद राज्य सरकारें चाहें तो इसे फॉलो कर सकती हैं.
प्रस्तावित आदर्श कानून के बारे में श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा, 'हम इन पर एक आदर्श कानून तैयार कर रहे हैं. हमारा मानना है कि श्रम मंत्रालय की ओर से कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए. इसे लागू करना या न करना राज्यों की इच्छा पर निर्भर है.'
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
गौरतलब है कि देश के 10,200 सिंगल-स्क्रीन सिनेमा हॉल, 600 से अधिक मॉलों और दो लाख से अधिक रेस्त्रां को इस आदर्श कानून का लाभ मिल सकता है. इसके साथ ही 24 घंटे खुले रहने के कारण इस ओर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
महिलाओं को मिलेगी रात में काम करने की आजादी
अधिकारियों के मुताबिक, इन प्रतिष्ठानों की कार्यावधि को लेकर अभी अलग-अलग राज्यों के अलग-अलग नियम हैं. साप्ताहिक अवकाश और सार्वजनिक छुट्टियां भी अलग-अलग दिन होती हैं. प्रस्तावित आदर्श कानून में इस मामले में पूरी आजादी दी जाएगी. प्रस्तावित आदर्श कानून में महिलाओं को रात की पाली में काम करने की आजादी दी जाएगी और प्रोन्नति, स्थानांतरण और नौकरी में सभी तरह के लैंगिक भेदभाव खत्म किए जाएंगे.
डेढ़ महीने में राज्यों तक पहुंचेगा कानून
अग्रवाल ने श्रम शक्ति भवन में स्थित अपने कार्यालय में गुरुवार को कहा, 'हम यह आदर्श कानून दो सप्ताह में कानून मंत्रालय में भेजेंगे. उसके बाद के दो सप्ताह में यह मंत्रिमंडल तक पहुंचेगा. मेरे खयाल से एक से डेढ़ महीने में यह राज्यों तक पहुंच जाएगा.'
भारत को एक बाजार बनाने की योजना
संसद को कानून पारित करने की जरूरत नहीं है. सरकार आदर्श विधेयक का एक मसौदा बनाना चाहती है, जिससे पूरे देश में कानूनी प्रावधानों में समानता आ सके और सभी राज्य आसानी से इसे स्वीकार कर सकें न कि अपने लिए अलग-अलग नियम बनाएं. यह नरेंद्र मोदी सरकार की पूरे भारत को एक बाजार बनाने की योजना का हिस्सा है. श्रम मंत्रालय के मुताबिक इससे रोजगार बढ़ेगा. महिलाओं का भी सशक्तीकरण होगा.