scorecardresearch
 

AIIMS 'इच्छुक' नहीं, इसलिए संजीव चतुर्वेदी ने PM फंड में दान की पुरस्कार राशि‍

मैगसेसे पुरस्कार विजेता संजीव चुतर्वेदी ने अपनी पुरस्कार राशि‍ एम्स को दो महीने पहले ही दान कर दी थी, लेकिन एम्स प्रशासन ने यह राशि अभी तक स्वीकार नहीं की है.

Advertisement
X
एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी की फाइल फोटो
एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी की फाइल फोटो

Advertisement

मैगसेसे पुरस्कार विजेता संजीव चुतर्वेदी ने अपनी पुरस्कार राशि‍ एम्स को दो महीने पहले ही दान कर दी थी, लेकिन एम्स प्रशासन ने यह राशि अभी तक स्वीकार नहीं की है. शीर्ष मेडिकल संस्थान के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी इससे खासे नाराज चल रहे हैं. उन्होंने अब यह रकम प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में दान कर दी है.

एम्स के उप सचिव चतुर्वेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत मुलाकात का भी वक्त मांगा है. वह पीएम से मिलकर देश में ईमानदार सिविल सेवकों की दशा पर अपने ‘मन की बात’ रखना चाहते हैं. चतुर्वेदी ने 30,000 डॉलर (करीब 20 लाख रुपये) की रकम गरीब रोगियों के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के खाते में दान किया था.

क्या लिखा है पीएम को पत्र में
उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है, 'हालांकि इस तारीख तक एम्स प्रशासन ने यह रकम जमा नहीं करवाई है और यह विषय तुच्छ आधारों पर कथित तौर पर लंबित रखा गया है. दुर्भावना और अनिच्छा इस बात से पूरी तरह से जाहिर होती है कि किसी अन्य निजी दानदाता के अन्य मामले में यह विषय स्वास्थ्य मंत्रालय को नहीं भेजा जाता और चंदे को फौरन ही संस्थान के खाते में जमा कर दिया जाता, जबकि मेरे मामले में मेरी विश्वसनीयता और कोष के स्रोत के पूरी तरह से जानते हुए भी मामले को जानबूझ कर स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भेज दिया गया, ऐसा सिर्फ चंदे को अस्वीकार करने के लिए किया गया.'

Advertisement

'नहीं मिला है कोई स्पष्ट निर्देश'
चतुर्वेदी ने आगे कहा कि स्वास्थ्य सचिव से उनकी मुलाकातों से भी इस मामले में कोई नतीजा नहीं निकला और अब भी इस रकम को जमा करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है.

उन्होंने पत्र में कहा है, 'यह पूरी तरह से अपमानजनक और भेदभावपूर्ण व्यवहार है. जिक्र किए गए परिस्थितियों में मैंने पुरस्कार की पूरी राशि प्रधानमंत्री राहत कोष के खाते में दान करने का फैसला किया है, क्योंकि मैं स्वास्थ्य मंत्रालय (एम्स) के साथ इस विशुद्ध मानवीय मुद्दे पर कोई तकरार नहीं चाहता और इसलिए रकम बगैर किसी देर के जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए इस्तेमाल किया जाए.'

Advertisement
Advertisement