लोकसभा में सोमवार को तीखी बहस के बीच नागरिकता संशोधन बिल पेश हो गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बिल को पेश किया और इस दौरान विपक्षी पार्टियों पर जमकर बरसे. विपक्ष के विरोध के कारण बिल सीधे पेश नहीं हो पाया, बल्कि मतदान के जरिए पेश हुआ. लोकसभा में बहुमत होने के कारण भाजपा को इसमें दिक्कत नहीं आई और बड़े अंतर के साथ सरकार ने इस बिल की पहली परीक्षा को पास कर लिया. विपक्ष को जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ नहीं है.
मतदान के आधार पर पेश हुआ बिल
कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने नागरिकता संशोधन बिल का विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ बताया. इसी विरोध के बाद बिल को पेश करने के लिए लोकसभा में मतदान कराना पड़ा, नागरिकता संशोधन बिल पेश करने के पक्ष में 293 और पेश करने के विरोध में 82 वोट पड़े. सोमवार को सदन में कुल मतदान 375 हुआ था.
Lok Sabha: 293 'Ayes' in favour of introduction of #CitizenshipAmendmentBill and 82 'Noes' against the Bill's introduction, in Lok Sabha pic.twitter.com/z1SbYJbvcz
— ANI (@ANI) December 9, 2019
शिवसेना ने बिल पर दिया सरकार का साथ
महाराष्ट्र चुनाव के बाद एनडीए से अलग होने वाली शिवसेना ने इस बिल पर मोदी सरकार का साथ दिया है. शिवसेना पहले ही कह चुकी थी कि वह घुसपैठियों को बाहर निकालने के पक्ष में है, यही कारण रहा कि बिल पेश करने के लिए जब मतदान हुआ तो शिवसेना सरकार के साथ रही. हालांकि, शिवसेना की मांग है कि जिन लोगों को नागरिकता मिलेगी, उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं मिले.
अल्पसंख्यकों और संविधान के खिलाफ नहीं बिल: अमित शाह
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता बिल किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करता है और ना ही ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ है. अमित शाह ने कहा कि ये बिल .001% भी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की वजह से ही इस बिल को लाने की जरूरत पड़ी है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा क्योंकि धर्म के आधार पर कांग्रेस ने देश का विभाजन किया. इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती, अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा.
संविधान के खिलाफ है बिल: कांग्रेस, टीएमसी
एक ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल को संविधान के तहत बताया, लेकिन कांग्रेस, टीएमसी ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये बिल संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है जो देश में समानता का अधिकार को तोड़ता है.
उनके अलावा तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने भी कहा कि इस बिल के पेश होने से संविधान संकट में है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस बिल को संविधान के खिलाफ बताया और कहा कि इस देश को बचा लीजिए.
केंद्र सरकार के बिल में क्या है...
नए बिल के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, ईसाई, सिख शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में आसानी होगी. इसके अलावा अब भारत की नागरिकता पाने के लिए 11 साल नहीं बल्कि 6 साल तक देश में रहना अनिवार्य होगा. विपक्ष इस बिल को गैर संविधानिक बता रहा और मुस्लिम विरोधी करार दे रहा है.