मोदी सरकार के द्वारा लाए जा रहे नागरिकता संशोधन बिल पर विपक्ष एकजुट हो गया है. कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी पार्टियां संसद और सड़क पर इसका विरोध कर रही हैं. गुरुवार को नागरिकता बिल के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों ने बैठक की और आगे की रणनीति पर चर्चा की. विपक्ष का मानना है कि उनकी कोशिश सही परिप्रेक्ष्य में बातों को लोगों तक पहुंचाना होगा.
गुरुवार को संसद भवन में विपक्ष की बैठक हुई, इसमे कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों ने हिस्सा लिया. टीएमसी की ओर से बैठक में डेरेक ओ ब्रायन शामिल हुए. गौरतलब है कि मोदी सरकार अगले हफ्ते इस बिल को लोकसभा में पेश कर सकती है, इस बिल को दोनों सदनों में पास कराना सरकार के लिए चुनौती है.
विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि केंद्र सरकार धर्म के आधार पर नागरिकों को बांटना चाह रही है, जो भारत के मूल नियमों के खिलाफ है. इस बिल के अनुसार, अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बांग्लादेश से आने वाले हिंदू-जैन-बौद्ध-जैन शरणार्थियों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल जाएगी.
मोदी सरकार पर हमलावर हुआ विपक्ष
टीएमसी नेता डेरेक ओ-ब्रायन ने इस बिल के बारे में कहा कि ये बिल ट्राइबल-विरोधी है. इससे लोगों का नुकसान ही होगा, जिसका असर हमें एनआरसी में भी दिखा था. उन्होंने कहा कि एनआरसी की लिस्ट से 1 लाख गोरखा भी बाहर हुए थे. हमारी पार्टी ने 2016 में ही एनआरसी को लेकर चेताया था, लेकिन अब ये सरकार उसी मॉडल को पूरे देश में लागू करना चाहती है.
ओवैसी ने पीएम मोदी को घेरा
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मसले पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हम इस बिल का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये संविधान के खिलाफ है. मोदी जी जिन्ना की धर्म के आधार पर देश को बांटने वाली थ्योरी को दोहराना चाहते हैं. वो लोग चाहते हैं कि देश को हिंदू राष्ट्र बनाया जाए, जो संविधान के खिलाफ है.
केंद्र सरकार इस बिल को सोमवार को लोकसभा में पेश करेगी, जबकि मंगलवार को बिल पर चर्चा होगी. चर्चा के लिए 4 घंटे का समय रखा गया है. गौरतलब है कि लोकसभा में तो मोदी सरकार के पास बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.