नागरिकता संशोधन बिल (CAB) के खिलाफ पूर्वोत्तर भारत में प्रदर्शन जारी है. असम में विरोध सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों ने सरेआम बस फूंक दी तो तिनसुकिया और डिब्रूगढ़ रेलवे स्टेशन में आग लगा दी गई. हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के लोगों से शांति की अपील की है. पीएम मोदी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल से असम के अधिकार को छीनने की कोशिश नहीं की जा रही है.
PM मोदी की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'मैं असम के अपने भाइयों और बहनों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि नागरिकता संशोधन बिल के पास होने के बाद उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं- कोई भी आपके अधिकारों, विशिष्ट पहचान और सुंदर संस्कृति को नहीं छीन सकता है. यह फलता-फूलता और विकसित होता रहेगा.'
I want to assure my brothers and sisters of Assam that they have nothing to worry after the passing of #CAB.
I want to assure them- no one can take away your rights, unique identity and beautiful culture. It will continue to flourish and grow.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 12, 2019
असम के लोगों से अपील करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मैं और केंद्र सरकार अनुसूचि 6 की भावना के अनुसार असमिया लोगों के राजनीतिक, भाषाई, सांस्कृतिक और भूमि अधिकारों को संवैधानिक रूप से संरक्षित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.'
The Central Government and I are totally committed to constitutionally safeguard the political, linguistic, cultural and land rights of the Assamese people as per the spirit of Clause 6.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 12, 2019
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
नागरिकता संशोधन बिल संसद से पास होने के बाद नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा. इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी.
बिल के कानून में बदल जाने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा. इसके लिए उन्हें भारत में कम से कम 6 साल बिताने होंगे. पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था.
कुछ समय पहले ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन को लेकर असम समेत पूर्वोत्तर भारत के अन्य राज्यों में भारी विरोध हुआ था. एनआरसी के तुरंत बाद अब नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लाया गया, जिसका वहां विरोध किया जा रहा है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन की अगुवाई में पूर्वोत्तर के कई छात्र संगठनों ने इस बिल का विरोध किया.