केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक प्रताड़ना झेल कर यहां आने वाले और नागरिकता प्राप्त नहीं कर पाने वाले अल्पसंख्यकों के लिए उम्मीद की किरण है.
अमित शाह ने कहा कि इस बिल की वजह से कई धर्म के प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता मिलेगी लेकिन विपक्ष का ध्यान सिर्फ इस बात पर कि मुस्लिम को क्यों नहीं लेकर आ रहे हैं. आपकी पंथनिरपेक्षता सिर्फ मुस्लिमों पर आधारित होगी लेकिन हमारी पंथ निरपेक्षता किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है.
HM Amit Shah: Can followers of Islam in Bangladesh, Pakistan and Afghanistan be called minority? No. When the religion of the State is Islam, then, chances of persecution of Muslims is lesser. https://t.co/kHeXvvWAbo
— ANI (@ANI) December 11, 2019
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं, जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है. ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं.
ऐसे में देश कैसे चलेगा?
अमित शाह ने कहा, "आप क्या चाहते हैं? क्या हमें पाकिस्तान से आने वाले मुस्लिमों को नागरिकता देनी चाहिए. ऐसे में देश कैसे चलेगा?" शाह ने कहा, "पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू, जैन, पारसी, सिख धर्म को मानने वालों को प्रताड़ित किया गया है. यह विधेयक इन लोगों की गरिमा और जिंदगी की रक्षा करेगा."
एनडीए सरकार ने मुस्लिमों को इस विधेयक से बाहर रखने के पीछे का कारण बताते हुए स्पष्ट किया है कि मुस्लिम इन तीन देशों में बहुसंख्यक हैं. सरकार का कहना है कि इन देशों में मुस्लिमों का धार्मिक आधार पर उत्पीड़न नहीं हो सकता, क्योंकि इन देशों में ये बहुसंख्यक हैं.
अल्पसंख्यकों के अधिकार छीन लिए
अमित शाह ने कहा, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के अधिकार को छीन लिया गया. जब बांग्लादेश का गठन हुआ था, पहले अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ख्याल रखा गया, लेकिन इन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों के 20 फीसदी आबादी को समाप्त कर दिया गया. या तो उनका धर्मांतरण कर दिया गया या उन्हें मार दिया गया.
मंत्री ने कहा कि धार्मिक प्रताड़ना की वजह से कई अल्पसंख्यक भारत आ गए. यहां भी उनका ख्याल नहीं रखा गया. भारत में भी वे मूल अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. यह विधेयक उन लोगों को राहत देगा, जिन्होंने धार्मिक प्रताड़ना झेली है. शाह ने स्पष्ट किया कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी पार्टी ने एक घोषणा पत्र जारी किया था और लोगों के साथ इसे साझा किया था. गृहमंत्री ने कहा, संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली में, घोषणा पत्र उन नीतियों का आईना होती है, जिसे एक पार्टी को लागू करना होता है. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में बताया था कि धार्मिक प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
अमित शाह ने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया. लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही. यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे. यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ.