राजनाथ सिंह ने संसद की संयुक्त समिति द्वारा यथाप्रतिवेदित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पर सदन में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही. उनके जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया. कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया.
कानून में क्या है
यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है. इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.
गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिश हो रही हैं. उन्होंने कहा, 'इस विधेयक को लेकर तरह तरह की आशंकाएं, भ्रम पैदा करने की कोशिशें निर्मूल हैं, निराधार हैं. असम के लोगों की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.' उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी पैदा की जा रही है कि इस विधेयक का बोझ असम सहेगा. ऐसा नहीं है, पूरा देश इसे सहेगा. सरकार और पूरा देश असम की जनता के साथ खड़े हैं.
राजनाथ सिंह ने जोर दिया कि पाकिस्तान में राष्ट्र एवं समुदाय के स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ सुनियोजित तरीके से भेदभाव किया जाता है. उन्हें बुनियादी अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है. गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे में इन लोगों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का जिक्र करते हुए कहा कि इसे उचित ढंग से लागू किया जा रहा है. इसके तहत शिकायत करने का प्रावधान किया गया है. हम प्रक्रिया पूरी करने को प्रतिबद्ध हैं. किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा.
उन्होंने कहा, 'धार्मिक आधार पर नागरिकता के आरोप निराधार हैं. बड़ी संख्या में बहुसंख्यक लोगों को भी भारत में नागरिकता मिलती रही है.' सिंह ने नागरिकता दिए जाने के समर्थन में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन नेता सुचेता कृपलानी के बयानों को भी उद्धृत किया.
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का जो भी मूल निवासी है भले ही वह ईसाई रहा हो अगर उसका पाकिस्तान आदि देशों में धार्मिक उत्पीड़न हो रहा हो तो उसे भारत की नागरिकता दी जाएगी.