नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ असम में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है. विरोध में कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) और जातियताबंदी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) के प्रदर्शनकारी खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं.
रविवार को कार्बी आंगलांग जिले में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने एनएच-36 को कुछ घंटे तक जाम रखा. गोलपाड़ा के दुधोनी में एनएच-37 पर जोगी और कलिता समुदाय के लोगों ने नागरिकता विधेयक की कॉपियां जलाईं.
दूसरी ओर बीजेपी विधायक पद्मा हजारिका ने रविवार को कहा कि अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें उनके वतन वापस भेजने के लिए असम समझौते में तय की गई 24 मार्च 1971 की समय सीमा का सम्मान किया जाना चाहिए और इसमें किसी भी कीमत पर बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.
हजारिका ने कहा कि वह विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक को स्वीकार नहीं करेंगे. इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए कट ऑफ तारीख 31 दिसंबर 2014 करने का समर्थन किया गया है.
क्या है यह विधेयक
यह विधेयक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाइयों को, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आए हैं, या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा हाल के सालों में खत्म हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है. यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के छह गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता है.
विधेयक पर बवाल
इस विधेयक को लेकर असम में बड़ा बबाल मचा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की ओर से इसपर लोकसभा में रिपोर्ट पेश किए जाने के तुरंत बाद विधेयक को मंजूरी दे दी. उसके बाद लोकसभा में भी यह विधेयक पारित हो चुका है. राज्यसभा में इसे पास किया जाना बाकी है. शीत सत्र में यह पास तो नहीं हो सका लेकिन आगामी बजट सत्र में इसके पारित होने की संभावना है. बजट सत्र 31 दिसंबर से शुरू हो रहा है.
जेपीसी का सुझाव
इससे पहले जेपीसी ने अपनी रिपोर्ट में 31 दिसंबर, 2014 तक असम में घुस चुके अल्पसंख्यक लोगों को वैध ठहराने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है लेकिन सरकार से कहा है कि चूंकि मामला कोर्ट में है, इसलिए वह सावधानी से कदम उठाए. रिपोर्ट में सभी कानूनी कदम उठाने को कहा गया है ताकि बाद में यह परेशानी का सबब न बने.