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सिविल सेवा उम्मीदवारों ने यूपीएससी पर लगाया गड़बड़ी का आरोप

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों में गड़बड़ी और धांधली का आरोप लगाया है.

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सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) पर सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों में गड़बड़ी और धांधली का आरोप लगाया है.

सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों ने ‘ट्रांसपेरेंसी सीकर्स फॉर अकाउंटेबिलिटी’ नाम के एक संगठन के बैनर तले आज राजधानी स्थित यूपीएससी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. छात्रों के प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संगठन के प्रमुख चितरंजन ने बताया कि यूपीएससी की ओर से इस साल घोषित प्रारंभिक परीक्षा के नतीजों में जमकर धांधली हुई है.

चितरंजन ने आरोप लगाया कि यूपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा में 17,000 उम्मीदवारों को चुना लेकिन महज 12,000 उम्मीदवारों के नतीजे सार्वजनिक किए गए. उन्होंने कहा कि बाकी 5,000 नतीजे घोषित नहीं किए जाने की कोई वजह नहीं बतायी गयी.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रारंभिक परीक्षा में कई ऐसे छात्रों का चयन हुआ है जिन्होंने सामान्य अध्ययन के 150 में से महज 20 के सही उत्तर दिए जबकि वैकल्पिक विषय के 120 प्रश्नों में भी 60-70 प्रश्नों का सही उत्तर दिया.

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चितंरजन का कहना था कि यूपीएससी ने कई ऐसे उम्मीदवारों का चयन नहीं किया है जिन्होंने सामान्य अध्ययन में 50 से उपर, जबकि वैकल्पिक विषय में 70 से ज्यादा सवालों के सही जवाब दिए. उन्होंने मांग की कि यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के घोषित नतीजों में इस तरह के भेदभाव का कारण बताए.{mospagebreak}

यूपीएससी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि यदि उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हुई तो 25 अगस्त को जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा. उम्मीदवारों के प्रदर्शन के बाबत यूपीएससी से संपर्क किए जाने पर एक अधिकारी ने कहा कि छात्रों से कहा गया है कि जिन्हें प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम से किसी तरह की शिकायत है वह लिखित आवेदन दें ताकि उनकी मांगों पर विचार किया जा सके.

यूपीएससी की ओर से लिखित शिकायत की मांग के बाबत चितरंजन ने कहा कि यूपीएससी की ओर से लिखित आवेदन की मांग करना और कुछ नहीं बल्कि छात्रों का नाम-पता जानकर भविष्य में उन्हें परेशान करने का एक तरीका भर है.

गौरतलब है कि कुछ साल पहले भी सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों ने मांग की थी कि यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के कट-ऑफ अंक बताए ताकि पूरी परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता आ सके. छात्रों की ओर से इस बाबत दायर की गयी याचिका फिलहाल उच्चतम न्यायालय में लंबित है.

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