जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ले ली है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें शपथ दिलाई. जस्टिस मिश्रा ने पूर्व CJI जे.एस. खेहर की जगह ली है. दीपक मिश्रा देश के 45वें मुख्य न्यायधीश बने हैं.
Justice Dipak Misra takes oath as the Chief Justice of India (CJI). pic.twitter.com/r4aeTlftsd
— ANI (@ANI) August 28, 2017
ओडिशा के रहने वाले जस्टिस मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था. उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर 2018 तक रहेगा. जस्टिस दीपक मिश्रा के चाचा जस्टिस रंगनाथ मिश्र भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1977 में ओडिशा हाईकोर्ट से बतौर वकील करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद 1996 में वह ओडिशा हाईकोर्ट के जज बने. इसके बाद वर्ष 2009 में जस्टिस दीपक मिश्रा ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभाला. बिहार के तत्कालिन राज्यपाल देवानंद कुंवर ने 24 दिसंबर 2009 को उन्हें पद और गोपनियता की शपथ दिलाई थी.
मेमन को सजा सुनाने पर मिली थी धमकी
आपको बता दें कि 30 जुलाई को याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के बाद से जस्टिस दीपक मिश्रा और इस फैसले में साथ रहे उनके दो साथियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा सुनाने पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा को एक धमकी भरा खत मिला था. इस खत में लाल पेन से लिखा हुआ था, 'हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे.' जस्टिस मिश्रा समेत बाकी तीन जजों ने याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील याचिका को ठुकराते हुए आधी रात को चली सुनवाई में उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा था.