चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने रविवार को गुड फ्राइडे पर जजों का सम्मेलन आयोजित करने पर जज कुरियन जोसेफ की आपत्ति पर खड़े हुए विवाद को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को आमंत्रित भले ही किया गया हो, लेकिन सिर्फ शीर्ष तीन जजों की उपस्थिति अनिवार्य होती है.
विवाद को कमतर करने का प्रयास करते हुए जस्टिस दत्तू ने कहा कि शुक्रवार और शनिवार को दो दिवसीय कार्यक्रम कॉन्फ्रेंस नहीं बल्कि बैठक थी, जहां न्यायाधीश न्यायपालिका से संबंधित मुददों और समस्याओं पर आपस में चर्चा करते हैं. जस्टिस कुरियन द्वारा उठाए गए मुददे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, 'मैं परिवार का मुखिया हूं. अगर कोई सदस्य मुझसे सवाल करता है, हम खुद से इसे सुलझा लेंगे.’ उन्होंने कहा कि चूंकि न्यायाधीशों को एक दूसरे से बात करने का समय नहीं मिलता, इस तरह की बैठकें समय-समय पर होती हैं जहां महत्वपूर्ण मुददों पर विचार विमर्श होता है.
हर दो साल पर होती है मीटिंग
जस्टिस दत्तू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को आमंत्रित किया गया, लेकिन शीर्ष अदालत के शीर्ष तीन न्यायाधीशों प्रधान न्यायाधीश और दो सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस एआर दवे की उपस्थिति अनिवार्य है. इस तरह का कार्यक्रम इससे पहले सात अप्रैल 2013 को हुआ था और यह हर दो साल पर आयोजित होती है.
उन्होंने आगे कहा, 'सहमति बनाने में कठिनाई का मतलब यह नहीं है कि हम चर्चा न करें. यह महत्वपूर्ण है कि हम सुझावों के लिए तैयार रहें और लीक से हटकर सोचें.' जस्टिस दत्तू ने कहा कि लोकतंत्र के इन तीनों स्तम्भों के बीच संस्थागत वार्ता जारी रहने की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने कहा, 'न्यायिक प्रशासन से संबंधित मुद्दे काफी जटिल हैं. इन्हें न्यायपालिका अकेले नहीं सुलझा सकती है. कार्यपालिका की भी हिस्सेदारी है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बेहतर समन्वित प्रयासों से हम इसे हासिल कर सकते हैं.'
-इनपुट भाषा से