भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तु देशभर के हाई कोर्ट में जजों के 40 फीसदी पद रिक्त होने की वजह से चिंतित हैं. इन खाली पदों के पीछे दो दशकों से चली आ रही कोलेजियम प्रणाली को खत्म कर नई राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) का गठन माना जा रहा है.
खास बात यह है कि जहां एक ओर सरकार के मुताबिक कोलेजियम प्रणाली मृत समान है, वहीं NJAC की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आने के कारण नई व्यस्था पर पूरी तरह कार्य में नहीं है. मौजूदा स्थिति यह है कि जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कोई कार्य प्रक्रिया नहीं है, वहीं इस ओर रिक्तियों का अंबार लग गया है.
इतना ही नहीं मार्च महीने से कोलेजियम की कोई बैठक नहीं हुई और मुख्य न्यायाधीश ने NJAC के को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने के कारण इस नई बॉडी की किसी भी बैठक में हिस्सा लेने से मना कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश ही एनजेएसी के प्रमुख भी हैं.
'मेरे जजों पर मामलों के बोझ को समझें'
साल 2002 के गोधरा कांड के बाद हुई हत्याओं में पीड़ितों के परिजनों ने
दीपदा दरवाजा मामले में तेजी से सुनवाई और के लिए अर्जी लगाई है. याचिका की सुनवाई कर रही जस्टिस दत्तु की बेंच ने इस अपील को यह कहते हुए खारिज किया कि जजों के रिक्त पदों की संख्या के कारण ऐसा संभव नहीं है. उन्होंने कहा, 'मामले में अपील पर जल्द फैसला के लिए हाई कोर्ट जाने की मांग संभव नहीं है. 40 फीसदी से अधिक जजों के पद रिक्त हैं. कृपया मेरे जजों पर मामलों के बोझ को समझें.'
मख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े से कहा कि वह अपनी याचिका हाई कोर्ट के पास ले जाएं. उन्होंने मामले में हाई कोर्ट द्वारा आरोपी को दी गई जमानत को रद्द करने की याचिका पर भी सुनवाई से इनकार कर दिया.