देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ठाकुर के बाद वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने भी सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों को लेकर चिंता व्यक्ति की है. खेहर ने स्पष्ट कहा कि देश का सर्वोच्च न्यायालय फिलवक्त जजों की कमी से जूझ रहा है. जजों की कमी के चलते कोर्ट के काम ठीक ढ़ंग से नहीं चल पा रहे हैं.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल 8 जजों की कमी है. मुख्य न्यायाधीश के मुताबिक जनवरी के अंतिम सप्ताह तक जजों की कमी दूर कर ली जाएगी. विधि मंत्रालय भी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों की खातिर कालेजियम से नामांकन का इंतजार कर रहा है.
चीफ जस्टिस ठाकुर ने भी उठाई थी आवाज
जस्टिस ठाकुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने जजों की कमी को लेकर भावुक हो गए थे और पीएम मोदी से जजों की संख्या बढ़ाने की अपील की थी. जस्टिस ठाकुर ने अपने भावनात्मक भाषण में कहा था कि भारत का एक जज एक साल में 2600 केसों की सुनवाई करता है, इसे पता चलता है कि एक जज के ऊपर कितना दबाव है. जस्टिस ठाकुर ने कहा था कि जजों की कमी की वजह से हाईकोर्ट में 38 लाख से भी ज्यादा केस पेंडिंग है और केस की सुनवाई न हो पाने की वजह से लोग जेल में हैं.
जस्टिस ठाकुर के जजों की संख्या बढ़ाने वाले भावनात्मक भाषण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कोर्ट की छुट्टियों में कटौती की सलाह दी थी जिस पर जस्टिस ठाकुर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जज मनाली नहीं जाते हैं, वह संवैधानिक बेंच के फैसलों को लिखते हैं.
केन्द्र से भी ठाकुर ने ली थी टक्कर
जस्टिस ठाकुर तब खबर में आए थे जब जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर वह सरकार पर बरस पड़े थे. कॉलेजियम ने जजों की नियुक्ति के लिए 75 लोगों की लिस्ट भेजी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. जस्टिस ठाकुर ने केंद्र को चेताते हुए कहा कि कोर्ट को न्यायिक आदेश के जरिए इस गतिरोध को दूर करने पर मजबूर न करें. जस्टिस ठाकुर ने यह भी कहा था कि अगर केंद्र सरकार को कुछ नामों पर आपत्ति है तो उसे वापस भेजें.
खेहर ऐसे बने मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस ठाकुर के 3 जनवरी 2017 को रिटायर होने के बाद 4 जनवरी 2017 को जस्टिस खेहर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी. न्यायमूर्ति खेहर को राष्ट्रपति ने देश के 44वें प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ दिलाई थी. न्यायमूर्ति खेहर 27 अगस्त तक इस पद पर रहेंगे. न्यायमूर्ति खेहर 13 सितंबर, 2011 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त हुए थे.
जस्टिस खेहर को 8 फरवरी 1999 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इसके बाद 2 अगस्त, 2008 को उन्हें इसी उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया. न्यायमूर्ति खेहर 17 नवंबर, 2009 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. इसके बाद उन्हें 8 अगस्त, 2010 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी.
प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया था. न्यायमूर्ति ठाकुर कल यानि 3 जनवरी को रिटायर हो गए. मेमोरैन्डम ऑफ प्रोसीजर के मुताबिक, विधि एवं न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने न्यायमूर्ति ठाकुर को नवंबर में पत्र लिखकर उनसे अपने उत्तराधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया था. न्यायमूर्ति ठाकुर ने अपने जवाब में न्यायमूर्ति खेहर को नया प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी.