आम आदमी पार्टी में वैचारिक मतभेद थम नहीं रहा है. राष्ट्रीय परिषद की अहम बैठक से ठीक पहले 'आप' के अंदर दो विरोधी गुटों के बीच चल रही बातचीत टूटने के कगार पर है, क्योंकि दोनों में से कोई भी पक्ष अहम मुद्दों पर झुकने को इच्छुक नहीं है.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि अगर बातचीत नाकाम होती है तो 28 मार्च को होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक में योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण के खेमे तथा अरविंद केजरीवाल के खेमे के बीच एक आखिरी रस्साकशी देखने को मिलेगी. दोनों गुटों के बीच विश्वास की कमी को पाटने के लक्ष्य से पिछले हफ्ते शुरू हुई वार्ता में यह आमराय बनी थी कि दोनों खेमे मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
यादव और भूषण को आप की राजनीतिक मामलों की समिति से निकाले जाने के बाद विश्वास में कमी आई थी. हालांकि, विवाद की मूल जड़ कुछ अहम विषयों को लागू करना है जैसे कि आप की निर्णय लेने वाली इकाई में स्वयंसेवियों की भागीदारी, इसकी प्रदेश इकाइयों को स्वायत्ता, पार्टी को आरटीआई के दायरे में लाना और राज्य स्तर पर लोकायुक्त की नियुक्ति शामिल है. दोनों पक्ष विवादास्पद मुद्दों के संभावित हमलों के सिद्धांत और व्यवहार्यता पर अटके हुए हैं.
हालांकि,
सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि दोनों खेमे वार्ता को बचाने के लिए आखिरी कोशिश
कर रहे हैं. यादव और भूषण के खेमे ने कहा है कि इसने केजरीवाल गुट से इस बारे
में एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है कि तीन महीने के समय में इसकी मांगों को
कैसे लागू किया जाएगा. वहीं ,केजरीवाल गुट ने उससे इस बारे में सुझाव देने को
कहा है कि विचारों को एक व्यवहारिक तरीके से कैसे लागू किया जाए.
-इनपुट IANS