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आदिवासी कंगारु कोर्ट का फरमान-दूसरी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची डायन

बंगाल के मिदनापुनर में अंधविश्वास का एक ताजा मामले सामने आया है. यहां आदिवासियों की एक कंगारु कोर्ट ने दूसरी क्लास में पढ़ने वाली सुमित्रा और उसकी मां को डायन करार दिया. दोनों मा बेटी को 1 लाख रुपये जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया. जिसके बाद से ही दोनों मां-बेटी घर छोड़कर भाग गईं.

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पश्चिम बंगाल के मिदनापुनर में अंधविश्वास का एक ताजा मामले सामने आया है. यहां आदिवासियों की एक कंगारू कोर्ट ने दूसरी क्लास में पढ़ने वाली सुमित्रा और उसकी मां को डायन करार दिया. दोनों मां, बेटी को 1 लाख रुपये जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया, जिसके बाद से ही दोनों मां-बेटी घर छोड़कर भाग गईं.

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इस बारे में लोगों को तब पता चला, जब सुमित्रा की मां ने गांव से भागकर पुलिस में इसकी शिकायत की. पुलिस अधिकारी के मुताबिक, हमें इस बारे में शिकायत मिली है, हमने मामले की जांच शुरू कर दी है. कोर्ट के फरमान के बाद दो महिलाओं को 80 ग्रामीणों द्वारा पीटे जाने का मामला भी सामने आया है. इन दोनों महिलाओं को भी कंगारू कोर्ट द्वारा डायन करार दिया था. दोनों महिलाओं में से एक की हालत गंभीर है.

कंगारू कोर्ट ने इससे पहले यहां की एक लड़की के साथ रेप करने का फरमान जारी किया था. बीते कई मामलों में कोर्ट द्वारा स्थानीय महिलाओं को डायन करार दिया था. कंगारु कोर्ट आदिवासियों के पंचायत की ही एक रूप होता है जिसे मोरोल के नाम से जाना जाता है. कंगारु कोर्ट आए दिन अंधविश्वास से भरे फरमान के लिए जानी जाती है.

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