महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना अध्यक्ष राज ठाकरे और कांग्रेस नेता नारायण राणे के खिलाफ पिछले साल के राजनीतिक तोड़फोड़ के चार मामलों में कोई साक्ष्य नहीं है.
शिवसेना, मनसे और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इस घटनाओं में कथित तौर पर तोड़फोड़ की थी और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. पिछली बार उच्च न्यायालय ने पूछा था कि शीर्ष नेताओं के खिलाफ क्या कोई कदम उठाया गया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) चंद्रा आयंगर ने गुरुवार को दाखिल हलफनामे में कहा कि इन चार मामलों की जांच में यह खुलासा नहीं हुआ कि पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने अपने समर्थकों को उकसाया था या उनकी सहायता की थी.
शीर्ष नेताओं के शामिल होने का कोई खुलासा नहीं हुआ है इसलिए गिरफ्तारी या अभियोजन संबंधी कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी. पूर्व आईपीएस अधिकारी जूलियो रिबेरो ने उच्च न्यायालय को एक पत्र लिखकर चारों घटनाओं का जिक्र किया था. उन्होंने मांग की थी कि दोषी लोगों से मुआवजा की राशि वसूल की जानी चाहिए. अदालत ने पत्र को ही जनहित याचिका मान लिया था.