विस्तार है आपार,
प्रजा दोनों पार करे हाहाकार,
निःशब्द सदा,
ओ गंगा तुम, गंगा बहती हो क्यूँ...
गंगा नदी पर डॉ भूपेन हजारिका का ये गीत अजर अमर है. गंगा में प्रदूषण की जो हालत है, साढ़े चार साल पहले मोदी सरकार के सत्ता में आने से उसमें तब्दीली आने की उम्मीद लोगों को बंधी थी. 21 जनवरी 2015 को केंद्र सरकार ने क्लीन गंगा फंड (CGF) की स्थापना की. उस वक्त सरकार की ओर से कहा गया था कि ‘पवित्र गंगा की सफाई और संरक्षण में योगदान के लिए प्रवासी भारतीयों (NRIs) और भारतीय मूल के नागरिकों (PIOs) के उत्साह को बढ़ाने के लिए’ फंड की स्थापना की जा रही है. इस नेक मकसद के लिए निजी तौर पर दानकर्ताओं, प्राइवेट सेक्टर और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) से भी बढ़ चढ़ कर योगदान देने के लिए अपील की गई.
‘क्लीन गंगा फंड’ में प्रवासी भारतीयों का योगदान महज 0.10 फीसदी
फंड की स्थापना के चार साल बाद इसमें किन-किन की तरफ से कितना-कितना योगदान आया, ये जानने के लिए इंडिया टुडे ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत भारत सरकार के समक्ष याचिका दायर की. जो जवाब मिला, उसके मुताबिक NRIs और PIOs का रुख इस दिशा में ठंडा रहा. तीन साल में उन्होंने सिर्फ 25 लाख रुपये का योगदान दिया. ये फंड में कुल जितना योगदान आया, उसका सिर्फ 0.10% ही बैठता है. अगर 2018 में हर महीने में NRIs के योगदान के चार्ट को देखें तो जुलाई को छोड़कर बाकी किसी भी महीने में NRIs की ओर से एक पाई तक नहीं आई. जुलाई 2018 में उनकी तरफ से 6 लाख रुपये का योगदान फंड में आया. इसकी तुलना में भारत में रहने वाले दानकर्ताओं की बात की जाए तो उन्होंने 10.83 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. ये इकट्ठा किए गए फंड का 4.55% बैठता है.
योगदान देने वाले | रकम ( रू./ करोड़ में) | योगदान का प्रतिशत |
निजी दानकर्ता | 10.83 | 4.55 |
NRI/PIO | .25 | 0.10 |
प्राइट सेक्टर | 26.12 | 10.97 |
PSU | 201 | 84.38 |
कुल | 267 (ब्याज समेत) |
प्राइवेट सेक्टर में बैंक ऑफ अमेरिका की ओर से सबसे बड़ा योगदान
रिकॉर्ड दर्शाता है कि निजी संगठनों ने 26.12 करोड़ रुपये का योगदान दिया जो कुल फंड का 10.97% बैठता है. CGF में सबसे ज्यादा योगदान किसी भारतीय कंपनी ने नहीं ‘बैंक ऑफ अमेरिका’ ने दिया है. ये अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक है. टॉप 7 योगदानकर्ताओं में से ‘बैंक ऑफ अमेरिका’ का नाम दो जगह पर है. बैंक ऑफ अमेरिका ने 2015 में 4.72 करोड़ रुपये और 2016 में 60 लाख रुपये का योगदान दिया.
रैंक | प्राइवेट सेक्टर के बड़े योगदानकर्ता | रकम(रू/करोड़ में) | वर्ष |
1 | बैंक ऑफ अमेरिका | 4.72 | 2015 |
2 | फिनोलेक्स केबल लिमिटेड | 1.00 | 2018 |
3 | शिव रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन(भारत) | 1.1 | 2017 |
4 | बैंक ऑफ अमेरिका | .60 | 2016 |
5 | ओबेरॉय होटल प्राइवेट लिमिटेड | .57 | 2015 |
6 | मै. एल्स्टॉम | .50 | 2016 |
7 | ओरियंट रीफ्रैक्ट्रीज़ | .50 | 2015 |
रैंक | बड़े PSU योगदानकर्ता | रकम(रू/करोड़ में) | वर्ष |
1 | एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया | 20.00 | 2017 |
2 | न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया | 17.00 | 2017 |
3 | रूरल इलैक्ट्रीकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड | 15.00 | 2016 |
3 | जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन | 15.00 | 2015 |
4 | इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन | 10.89 | 2018 |
5 | इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन | 10.57 | 2016 |
6 | जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन | 10.00 | 2015 |
6 | NPCIL | 10.00 | 2015 |
PSUs ने 84.38% और प्राइवेट सेक्टर ने 10.97 % योगदान दिया
PSUs में से CGF में एक बार में सबसे बड़ा योगदान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया है. इसने 2017 में 20 करोड़ रुपये का योगदान दिया. हालांकि टॉप 7 की इस लिस्ट में जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ने दो बार योगदान दिया- 2015 में 15 करोड़ और 2016 में 10 करोड़ रुपये. ऐसे में लगता है कि सरकार के अच्छे इरादों और विदेश में जबरदस्त प्रमोशन के बावजूद गंगा नदी को लेकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों में भावनाओं का उफ़ान नहीं जागा. CGF में उनका कम योगदान इसकी गवाही देता है. यानी सरकार की ओर से NRIs और PIOs के उत्साह को लेकर जो अनुमान लगाया गया था, वो सही नहीं निकला. इससे एक और निष्कर्ष भी निकलता है कि सोशल मीडिया पर किसी मुद्दे पर शोर कितना भी हो लेकिन ज़रूरी नहीं कि वो हक़ीक़त में भी तब्दील हो.