टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के बीजेपी सदस्य यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सोमवार को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया कि वे इस समिति के समक्ष उपस्थित हों.
सिन्हा ने सिंह को लिखे पत्र में टू जी स्पेट्रम घोटाले के अभियुक्त और पूर्व मंत्री ए राजा द्वारा उन पर (प्रधानमंत्री) लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए कहा कि इन आरोपों पर अपनी सफाई के लिए वह समिति के समक्ष पेश हों.
पत्र में उन्होंने कहा कि समिति के समक्ष पेश होने में उनके द्वारा दिखाई जाने वाली झिझक से यही लगेगा कि ‘कुछ छिपाया जा रहा है.’ बीजेपी नेता ने कहा जब संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) 2जी घोटाले की कैग रिपोर्ट को देख रही थी तो प्रधानमंत्री ने स्वयं इसके समक्ष प्रस्तुत होने की पेशकश की थी.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, ‘आपने लेकिन जेपीसी के समक्ष पेश होने की पेशकश नहीं की जबकि इसके कई सदस्य सार्वजनिक रूप से आपसे इसके समक्ष पेश होने की मांग कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि राजा ने प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री पी चिदंबरम के विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगाए हैं. सिन्हा ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि यह आपके ही हित में है कि आप जेपीसी के सामने पेश हो कर इन आरोपों को खारिज करें. आप वित्त मंत्री को ऐसा करने की सलाह दें.’
सिन्हा ने इससे पहले इस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को नहीं बुलाने के जेपीसी अध्यक्ष पी सी चाको के रुख की आलोचना करते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि इस पैनल का उपयोग मामले का पर्दाफाश करने की बजाय उस पर पर्दा डालने के लिए हो सकता है.
राजा को जेपीसी की बैठक में नहीं बुलाने के चाको के फैसले को उन्होंने ‘गंभीर भूल’ बताया. सिन्हा ने कहा कि अगर राजा को गवाह के रूप में नहीं बुलाया गया तो जेपीसी का जिस उद्देश्य के लिए गठन किया गया था, वही निरर्थक हो जाएगा.
समिति के वाम दलों के सदस्य भी राजा को जेपीसी के समक्ष बुलाए जाने की मांग कर रहे हैं. बीजेपी नेता ने कहा, ‘..अपनी मेल में मैंने ए राजा की ओर से चाको को लिखे पत्र को देखा और इससे जेपीसी के इरादों पर गंभीर संदेह पैदा होते हैं. पत्र में राजा ने कहा है कि उन्होंने चाको को तीन या चार पत्र लिखे और उनके जवाब में जेपीसी अध्यक्ष ने केवल पत्रों की प्राप्ति की सूचना दी लेकिन गवाह के रूप में उन्हें बुलाए जाने के उनके आग्रह के संबंध में कुछ नहीं कहा.’
उन्होंने कहा, यह बहुत गंभीर मामला है कि जेपीसी के अध्यक्ष राजा को समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं होने देने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में राजा द्वारा जेपीसी के इरादों पर संदेह जताना वाजिब है.
चाको की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हम उस दिशा में जा रहे हैं जहां जेपीसी का उपयोग मामले का पर्दाफाश करने की बजाय उस पर पर्दा डालने के लिए होगा. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुद्दे को सुलझाने के लिए हमारे आग्रहों के बावजूद जेपीसी के अध्यक्ष इस संसदीय समिति की बैठक नहीं बुला रहे हैं.’