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6 मंजिल की अनुमति थी, पर बना 31 मंजिला

नौसेना ने अपने क्षेत्र में एक विवादास्पद गगनचुंबी इमारत को अधिग्रहण प्रमाणपत्र दिए जाने पर महाराष्ट्र सरकार के समक्ष सुरक्षा संबंधी कारणों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई है.

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नौसेना ने अपने क्षेत्र में एक विवादास्पद गगनचुंबी इमारत को अधिग्रहण प्रमाणपत्र दिए जाने पर महाराष्ट्र सरकार के समक्ष सुरक्षा संबंधी कारणों का हवाला देते हुए आपत्ति जताई है.

मुंबई की पश्चिमी नौसेना कमान ने कोलाबा इलाके में एक रेजीडेंशियल कॉम्पलेक्स पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा है कि इसे नियमों के खिलाफ 100 मीटर की ऊंचाई तक बना दिया गया है जबकि इजाजत केवल छह मंजिल तक की ही थी.

इस मामले में एक बड़ा खुलासा यह भी है कि सारा गैरकानूनी खेल सेना के वरिष्ठ अफसरों और राज्य सरकार के बड़े नेताओं और बाबुओं के इशारों पर खेला गया.

आदर्श सोसायटी पॉश इलाके में बना है और 31 मंजिला इस कॉम्पलेक्स में सेना के पूर्व जनरल और अध्यक्षों के फ्लैट हैं. गौरतलब है कि इस मुद्दे पर जिन लोगों को आपत्ति होनी चाहिए थी और जिसे इससे संबंधित मामला दर्ज करवाना चाहिए था उन्हीं लोगों को यहां पर फ्लैट दे दिया गया. सबसे मजेदार बात, राज्यसभा में इस मामले पर उठे एक तारांकित प्रश्न के जवाब में रक्षा मंत्रालय की ओर से संसद को भी गुमराह किया गया.

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आदर्श सोसायटी के ब्लॉक छह की जिस जमीन पर यह कॉम्पलेक्स तैयार हुआ है उसे पूर्व सैनिकों और युद्ध विधवाओं के लिए रखा गया था. राज्य सरकार के बड़े बाबुओं और अफसरों के साथ स्थानीय नेताओं ने भी इस मामले में अपना हिस्सा बंटवाया.

जमीन को सेना को सौंपने और उस पर आवासीय कॉलोनी बनाने में जो राज्य के अफसर और नेता शामिल रहे उन्होंने अपने रिश्तेदारों के जरिए इसमें अपना हिस्सा लिया है. इसके साथ ही सेना के वरिष्ठ जनरलों को भी महत्वपूर्ण मकान इसमें मिले. जिन-जिन अफसरों के हाथ में इस मामले की पड़ताल आई उसी ने आंख मूंद ली. इसमें पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल विज का भी नाम प्रमुख है जिनका कॉम्पलेक्स में फ्लैट है.

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