कोपेनहेगेन में जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्मेलन में समझौते के मसौदे पर सहमति की कोशिशें जारी हैं.
पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के मुताबिक शुक्रवार को सारे राष्ट्राध्यक्षों के आने से पहले समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. इसमें काफी मसलों पर रजामंदी हो सकती है ताकि 2010 में बातचीत की तैयारी हो सके.
विकसित देश चाहते हैं कि विकासशील देश कार्बन प्रदूषण घटाने के उपायों पर लिखित वादा करें लेकिन जी-77 समेत चीन भी इस पर तैयार नहीं. अमेरिका और यूरोपीय देश भी क्योटो प्रोटोकॉल की समयसीमा के तहत अपना कार्बन प्रदूषण घटाने को तैयार नहीं हैं.
कोपेनहेगेन सम्मेलन में समझौते के मसौदे की तैयारी के सिलसिले में भारत के लिए अच्छी खबर है. समझौते के प्रस्ताव के दूसरे मसौदे में जंगलों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की परियोजनाओं की फंडिंग से जुड़ी भारत की अहम मांग को भी शामिल किया गया है. इसमें वनों के कार्बन भंडार को बचाने और उसमें बढ़ोतरी, जंगलों की कटाई और उनमें गिरावट, जंगलों के पोषण से जुड़े प्रबंधन के मुद्दे शामिल हैं.