समाजवादी पार्टी में सत्ता को लेकर मचे ताजा घमासान में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पलड़ा भारी रहा है. पार्टी के दिग्गज नेताओं और सीनियर मंत्रियों के खिलाफ अखिलेश की रणनीति से सियासी पंडित भी हैरान हैं. हालांकि, अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद गंवाना पड़ा और वो अमर सिंह का भी कुछ नहीं बिगाड़ पाए. लेकिन मुलायम के सियासी कुनबे में ताजा कलह के बाद अखिलेश यादव पार्टी का लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरे हैं.
अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव समेत चार कैबिनेट मंत्रियों को सरकार से बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन मुलायम और शिवपाल के वफादार रहे गायत्री प्रजापति को इस बार सीएम ने नहीं हटाया. कैबिनेट में दोबारा वापसी के बाद प्रजापति कई बार सीएम आवास गए. यहां तक कि 23 अक्टूबर को अखिलेश की ओर से बुलाई गई विधायकों की बैठक में भी प्रजापति ने हिस्सा लिया जबकि शिवपाल को न्योता तक नहीं दिया गया था.
अखिलेश को मिला दिग्गजों का साथ
अखिलेश की उस बैठक में 180 के करीब विधायकों ने मुख्यमंत्री के प्रति आस्था दिखाई. इससे पार्टी के भीतर बने शिवपाल खेमे को काउंटर करने में मदद मिली. साथ ही साबित हुआ कि राज्य सरकार की ओर से किए गए विकास के कार्य सही गति में आगे बढ़ रहे हैं. यादव कुनबे में जारी कलह के बीच मुलायम के बड़े वफादारों में एक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया जैसे मंत्रियों और दिग्गज समाजवादी राम कोविंद चौधरी का भी अखिलेश को साथ मिला. इन दोनों ने पार्टी आलाकमान को संदेश दिया कि मुलायम सिंह यादव उनके सबसे बड़े नेता हैं लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश ही सीएम का चेहरा हैं.
एक और हैरानी की बात यह रही कि मंत्रियों पर सीएम की गिरी गाज में मदन चौहान भी बच गए. मदन चौहान को अमर सिंह का करीबी माना जाता है और उन्हीं की लॉबी के दम पर चौहान को मंत्रिमंडल में जगह भी मिली थी. लेकिन अब वो पार्टी के भीतर सभी से अपना रिश्ता बनाने में कामयाब रहे हैं.
मौजूदा घमासान के दौरान सीएम अखिलेश को समाजवादी पार्टी का अल्पसंख्यक चेहरा माने जाने वाले आजम खान का भी साथ मिला. ऐसे में समाजवादी पार्टी में संभावित टूट की स्थिति में शिवपाल खेमे की ओर से किए जाने वाले पलटवार का जवाब देने के लिए अखिलेश को बड़ा हथियार मिल गया. आजम खान की अमर सिंह से सियासी दुश्मनी जगजाहिर है.
सितंबर की शुरुआत में सीएम अखिलेश ने पहली बार शिवपाल यादव समेत चार मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. लेकिन दो हफ्ते बाद ये सभी कैबिनेट में वापसी करने में कामयाब रहे थे. लेकिन इस बार शिवपाल की वापसी नहीं होने जा रही. बीते मंगलवार को मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में शिवपाल की कैबिनेट में वापसी के सवाल पर दो टूक कह दिया, 'बर्खास्त मंत्रियों की वापसी का फैसला सीएम (अखिलेश यादव) के हाथ में है.'
पिता मुलायम ने यह कहकर कि मैं दो महीने के लिए सीएम क्यों बनूं, यह भी साफ कर दिया कि अगले चुनाव तक अखिलेश ही सीएम बने रहेंगे. ऐसे में अखिलेश की सीएम की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा भी टल गया है. बुधवार को शिवपाल ने अपना सरकारी आवास भी खाली कर दिया है. इससे साफ है कि शिवपाल की वापसी नहीं होने जा रही है. और सीएम अखिलेश चाचा से 'जंग' जीत गए हैं.