देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कार फॉर्मूले पर CM केजरीवाल का रुख अब नरम दिख रहा है. नए प्रस्ताव पर फैसले के एक दिन बाद सीएम केजरीवाल ने कहा कि ऑड और इवेन नंबर प्लेट फॉर्मूला अगर समस्या का कारण बनेगा तो इस व्यवस्था को लागू ही नहीं किया जाएगा. केजरीवाल ने कहा कि इस फैसले को एक बार लागू किया जाए और नतीजा देखने के बाद आगे फैसला किया जाएगा.
नंबर प्लेट से चलेंगी गाड़ियां
गौरतलब है कि हाईकोर्ट द्वारा प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार को निर्देश देने के बाद केजरीवाल सरकार ने शुक्रवार को फैसला किया था कि 1 जनवरी से दिल्ली में ऑड और इवेन नंबर वाली कारें एक-एक दिन चलेंगी. हालांकि, इस फैसले की व्यवहारिकता पर तमाम सवाल खड़े हुए. इसके बाद सीएम केजरीवाल का यह बयान आया है कि समस्या पैदा करने वाले फैसले को लागू नहीं किया जाएगा.
.@sardesairajdeep I agree. But something urgent needed to be done in view of emergency situation. Lets assess after trying for a few days
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 4, 2015
1 जनवरी से लागू होना है फैसला
सरकार के फैसले के मुताबिक 1 जनवरी से दिल्ली की सड़कों पर रोज कार नहीं दौड़ा पाएंगे. दिल्ली की सड़कों पर नंबर प्लेट के मुताबिक ही कार चल पाएगी. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला किया है. 1 जनवरी से दिल्ली में लाइसेंस प्लेट बैन होगा. यानि दिल्ली में ऑड और इवेन नंबर प्लेट फॉर्मूला लागू होगा. इसके मुताबिक एक दिन सड़कों पर इवेन यानि सम नंबर वाली गाड़ियां चलेंगी ....तो दूसरे दिन ...सिर्फ विषम नंबर वाली गाड़ियां.
क्या है मतलब?
हाईकोर्ट की फटकार के बाद फैसला
केजरीवाल सरकार का ये फैसला हाईकोर्ट की फटकार के बाद आया है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक है कि यहां रहना गैस चैंबर में रहने जैसा हो गया है. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद दिल्ली सरकार अचानक नींद से जागी. आनन-फानन में अरविंद केजरीवाल ने आपात बैठक बुलाई और प्रदूषण रोकने के लिए धड़ाधड़ कई फैसले ले डाले. दिल्ली सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया.
ये है दिल्ली में प्रदूषण रोकने का फॉर्मूला
विपक्ष का हमला
हालांकि, दिल्ली सरकार ने हवा में घुलती बेतहाशा जहर पर काबू करने के लिए कागज पर योजना तो बना ली...लेकिन ..केजरीवाल सरकार की असली परीक्षा तो इसे लागू करवाने में होगी. केजरीवाल सरकार के प्रस्ताव पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. कांग्रेस ने इसे जनविरोधी करार दिया है तो बीजेपी ने बिना किसी योजना के आनन-फानन में उठाया गया कदम बताया है.
क्या है दिल्ली सरकार का फैसला
दिल्ली सरकार ने राजधानी से प्रदूषण कम करने के लिए फैसला किया है कि एक दिन सम जैसे 0,2,4,6,8 के अंत वाले नंबर की गाड़ियां चलेंगी. फिर अगले दिन विषम जैसे 1,3,5,7,9 के अंत वाले नंबर की गाड़ियां चलेंगी. इससे दिल्ली की सड़कों पर गाड़ियों की संख्या घटकर सीधे आधी रह जाएगी. यह नियम एक जनवरी से लागू होगा. इसमें वीआईपी नंबरों और आपात सेवाओं वाली गाड़ियों को छूट दी गई है. इस बारे में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 8 दिसंबर को मंत्रियों और संबंधित अधिकारियों की एक बैठक भी बुला रहे हैं.
किसने क्या कहा?
बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि इससे अपना काम करने वाले लोगों, डॉक्टरों, वकीलों को समस्या होगी, जिन्हें जल्दी पहुंचने के लिए निजी कार की जरूरत होती है. वहीं, कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा कि केजरीवाल सरकार का फैसला सस्ती लोकप्रियता बटोरना है. इस फैसले से आम आदमी को परेशानी ही होगी.
चेतन भगत भी विरोध में
लेखक चेतन भगत ने भी केजरीवाल सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने इसे बिना सोचे समझे उठाया सख्त, अलोकतांत्रिक, लागू न किये जा सकने वाला और अजीब कदम बताया है. साथ ही कहा है कि यह इस समस्या का कोई असल समाधान नहीं है.
Draconian, undemocratic, not implementable, not a real solution, bizarre. Odd even cars kind of posturing politics should be avoided. Please
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) December 5, 2015
चेतन भगत ने समाधान भी सुझाया
चेतन भगत ने अगले ट्वीट में कहा है कि दिल्ली के प्रदूषण का असल समाधान छोटे शहरों में सुधार, उत्सर्जन का अच्छा कानून और सार्वजनिक परिवहन की बेहतरीन व्यवस्था है.
Real solution to Delhi pollution is to improve smaller cities. Lower pressure on supermetros. Good emission norms, great public transport.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) December 5, 2015
सुनीता नारायणन ने किया समर्थन
पर्यावरणविद सुनीता नारायणन ने दिल्ली सरकार के इस कदम का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक स्तर पर पहुंच गया है. यह आपात स्थिति है और दिल्ली की आबो-हवा को ठीक बनाए रखने के लिए ऐसे कदमों की सख्त जरूरत है. हाईकोर्ट भी कह चुका है दिल्ली में रहना गैस चैंबर में रहने जैसा है.
चीन ने अपनाई थी पहले व्यवस्था
यह व्यवस्था सीएनजी से चलने वाली बसों, टैक्सियों और ऑटो रिक्शा पर लागू नहीं होगी, लेकिन यह बाहर से दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाहनों पर भी लागू होगी. चीन की राजधानी बीजिंग में भी 2013 में इस तरह की व्यवस्था लागू की गई थी. यह फैसला दिल्ली में पंजीकृत करीब 90 लाख वाहनों पर लागू होगा. शहर में हर रोज करीब डेढ़ हजार नए वाहन पंजीकृत होते हैं.
आशुतोष बोले- ये तो एक प्रयोग है
चौतरफा हो रही आलोचना के बीच आप नेता आशुतोष ने कहा कि यह तो एक प्रयोग है जो पहली जनवरी से 15 दिनों के लिए किया जाएगा. प्रयोग के आधार पर सरकार 15 दिनों तक यह देखने की कोशिश करेगी कि यह कामयाब होता है या नहीं है.
सबसे बड़ा सवाल- लागू कैसे होगा
फिलहाल दिल्ली के आगे सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह फैसला लागू कैसे होगा. सबसे बड़ी चुनौती विभिन्न एजेंसियों से तालमेल की होगी. इसे लागू करने का जिम्मा दिल्ली पुलिस पर होगा, जो केंद्र के अधीन है और बीजेपी पहले ही इसका विरोध कर रही है. कुछ लोगों का कहना है कि यह नियम बनाकर लागू कराने से ज्यादा वॉलंटरी प्रक्रिया होगी.