सोमवार को दिन भर मशहूर गायक सोनू निगम के उस विचार पर प्रतिक्रियाओं का लाउडस्पीकर बजता रहा, जिसमें उन्होंने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों से लाउडस्पीकर के अंधाधुंध इस्तेमाल पर सवाल उठे. लेकिन उनके निजी विचार पर खूब विवाद हुआ. सवाल ये है कि धर्म की बात आते ही शोर मचाने वाले लोग असल मुद्दों पर लाउडस्पीकर क्यों नहीं बजाते हैं. तीन तलाक ऐसा ही मुद्दा है.
पहले प्रधानमंत्री मोदी और उसके बाद योगी आदित्यनाथ ने तीन तलाक पर त्यौरियां चढ़ाकर बड़ा संकेत दे दिया है. योगी ने तीन तलाक की तुलना द्रौपदी के चीरहरण से की और मौन रहने वालों को आड़े हाथों लेकर विरोधी दलों को भी निशाने पर लिया.
तीन तलाक पर साइलेंट क्यों?
सीएम योगी ने कहा कि अगर कहीं लाउड-स्पीकर बजना चाहिए तो असल में तीन तलाक और हलाला जैसी सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों के मुद्दे पर बजना चाहिए. जिससे उन लोगों के आंख और कान के पर्दे खुलें जो अपने मतलब के लिए आधुनिक भारत में भी मुस्लिम महिलाओं के साथ होते अन्याय पर साइलेंट हो जाते हैं. ठीक वैसे ही जैसे महाभारत में कौरवों की सभा द्रोपदी का चीरहरण होते देख चुप थी.
योगी आदित्यनाथ की बात मौलानाओं और राजनैतिक मतलबपरस्ती वाले नेताओं को कतई पसंद नहीं आएगी. लेकिन जो लोग धर्म के नाम पर लाउडस्पीकर के शोर को लेकर किसी की निजी राय पर उसे कोसने का मौका नहीं छोड़ रहे, उन्हें ही मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ होते अन्याय के खिलाफ जब लाउडस्पीकर बजता है तो ये बहुत चुभता है.
लखनऊ की रुखसाना का तीन तलाक के खिलाफ आवाज
रुखसाना से एक नहीं दो बार उनके पति ने शादी की और दोनों बार तीन तलाक कहके अलग कर दिया. पहली बार तलाक तलाक तलाक कहा तो फिर पति से निकाह के लिए हलाला जैसी कुप्रथा से गुजरना पड़ा दोबारा पति से शादी हुई. लेकिन दोबारा पति ने मारा पीटा यहां तक कि जलाया और घर से निकाल दिया, दो मिनट में तीन तलाक कहकर फिर से अलग कर दिया.
रुखसाना को इंसाफ की आस
रुखसाना की सात साल पहले ही शादी हुई थी. पहली बार शादी से दो बच्चे हुए. पति ने तलाक दिया फिर पति से शादी का दबाव बना, तो परिवार के ही एक सदस्य के साथ हलाला करना पड़ा, जिसके बाद पति से दोबारा शादी हुई. दो बच्चे फिर हुए, इसमें तीन साल की बेटी भी है. 7 महीने पहले रुखसाना को प्रताड़ित करके घर से निकाल दिया गया. रुखसाना की मां अपनी बेटी की तीन तलाक से बर्बाद हुई ज़िंदगी के लिए न्याय मांग रही हैं.
रुखसाना जैसी ना जाने कितनी मुस्लिम महिलाओं की दर्द भरी कहानियां हैं, जिनकी ज़िदंगी को तीन तलाक के नाम पर जहन्नुम बनाते हुए देर नहीं लगी. लेकिन अब तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की मुक्ति की आवाज़ तेज़ हो गई है. ऐसी कुप्रथाओं के खिलाफ धर्म के नाम पर और वोटबैंक के नाम पर चुप रहने वालों की खामोशी ज़्यादा देर तक चलने वाली नहीं है.
तीन तलाक से रेहाना की जिंदगी तबाह
पीलीभीत की रेहाना की ज़िंदगी में तीन तलाक का तेज़ाब डाल दिया गया. 18 साल शादी के बाद विदेश में रहने वाले पति ने फोन पर ही तीन बार तलाक कह कर छोड़ दिया. इसके बाद ससुरालवाले घर से निकालने में लग गए. रेहाना अड़ी रही तो उस पर एसिड अटैक हो गया.
रेहाना जैसा कहानियां मुस्लिम समाज की महिलाओं की कड़वी सच्चाई बन चुकी हैं, जिनकी ज़िंदगी तीन तलाक ने तबाह कर दी. नैनीताल की सोनी भी ऐसी ही तीन तलाक की शिकार महिलाओं में हैं, जिनके लिए न्याय की आवाज़ उठाई जा रही है.
तीन तलाक के खिलाफ महिलाओं की बुलंद आवाज
मुस्लिम महिलाओं की बुलंद होती आवाज़ और उनकी आवाज़ का साथ देते सरकार और सिस्टम का ही दबाव है कि मुस्लिम समाज के धार्मिक ठेकेदार इन कुरीतियों को लेकर बैकफुट पर हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के मुद्दे पर कोड ऑफ कंडक्ट पर रविवार को पहली बार बात ज़रूर की, इसके बावजूद तीन तलाक का ये बचाव करने में जुटे हैं.
मोदी सरकार बड़े फैसले को तैयार
तीन तलाक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी है और जनता की अदालत में भी है. इस बार सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर खुलकर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में बोल रही है. सरकार को मुस्लिम महिलाओं से बड़ा समर्थन में मिल रहा है. यही वजह है कि बार-बार खुद प्रधानमंत्री भी तीन तलाक के मुद्दे पर बोलते रहे हैं.
रविवार को पीएम मोदी ने बोला और सोमवार को यूपी के सीएम योगी ने भी सीधे शब्दों में कह दिया है, ये तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं की बुलंद होते आवाज़ का वॉल्यूम बढ़ाने के लिए काफी है. इसे तीन तलाक को खल्लास करने के लिए मुस्लिम महिलाओं के आंदोलन की तरह देखा जा सकता है. रुखसाना जैसे महिलाओं की चीखों और धार्मिक कुरीतियों द्वारा उनके सम्मान के चीरहरण पर अब आंख कान बंद नहीं किए जा सकते.
ऐसे करते हैं लोग तीन तलाक का गलत इस्तेमाल:
1. तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ गंभीर सामाजिक अपराध से कम नहीं है क्योंकि अक्सर पति अपनी पत्नी से छुटकारा पाने के लिए तीन तलाक का इस्तेमाल करते हैं.
2. कई बार दहेज के लिए, दूसरी शादी के लिए तीन तलाक का इस्तेमाल किया जाता है.
3. कई बार गर्भवती महिलाओं को तीन तलाक देकर छोड़ दिया जाता है, वो केस तक नहीं लड़ पाती हैं.
4. तीन तलाक के लिए मुस्लिम महिला को समय भी नहीं दिया जाता है.
5. एक बार में तीन तलाक देकर मुस्लिम महिला को अचानक बेघर कर दिया जाता है.
6. कई बार फोन, लेटर, व्हाट्स ऐप, एसएमएस के ज़रिए तीन तलाक दे दिया जाता है.
7. कई बार गुस्से में तलाक दिया जाता है फिर दोबारा निकाह के लिए उसे हलाला से गुज़रना पड़ता है. यानी पति से दूसरी बार शादी के लिए पहले किसी और से निकाह करना पड़ता है.
8. किसी और से निकाह करके और उसके साथ रहने के बाद ही पति से दूसरी शादी की जाने की कुरीति है.
ज़्यादातर मुस्लिम देशों में तीन तलाक पर प्रतिबंध:
- पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में भी तीन तलाक पर बैन है.
- मोरक्को, अफगानिस्तान, जॉर्डन, कुवैत जैसे देशों में भी तीन तलाक नहीं चलता है.
- अल्जीरिया, ट्यूनीशिया में भी कोर्ट के बाहर कोई तलाक मान्य नहीं होता है.
- मलेशिया में तलाक से पहले काज़ी या कोर्ट की मध्यस्थता अनिवार्य है.
इन तथ्यों को कैसे नकारेंगे?
- 2011 की जनगणना के मुताबिक मुस्लिम समाज में 49 फीसदी महिलाओं की शादी 14 से 19 वर्ष की उम्र के बीच हो जाती है.
- कम उम्र में शादी की वजह से तीन तलाक का मामला मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुत चिंताजनक हो जाता है.
- क्योंकि वो ना अच्छी तरह से शिक्षित होती हैं और ना ही आर्थिक तौर पर मजबूत होती हैं, ऐसे में तलाक उन्हें बेसहारा कर देता है.
- भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन संगठन के एक सर्वे के मुताबिक 95 फीसदी तलाकशुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता नहीं मिलता.
- इसी सर्वे के मुताबिक 92 फीसदी मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक खत्म करने और बहुविवाह की कुप्रथा खत्म करने के पक्ष में हैं.
गौरतलब है कि मुस्लिम महिलाएं अब तीन तलाक और हलाला जैसी कुरीतियां बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है. लाउडस्पीकर तो बज चुका है, इसका वॉल्यूम बढ़ता जा रहा है और इस आवाज़ को कोई अनसुना नहीं कर सकता. इन अत्याचारों को कोई अनदेखा नहीं कर सकता, कम से कम नए भारत में तो ये नहीं हो सकता.