तमिलनाडु के दिग्गज दिवंगत नेता कांजीवरम नटराजन अन्नादुरै का आज जन्मदिन है. 15 सितंबर 1909 को जन्मे अन्नादुरै तमिलनाडु के लोकप्रिय नेता, अपने प्रदेश के पहले गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्री और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम पार्टी के संस्थापक थे.
इनके नाम के संक्षिप्त रूप 'अन्ना' का तमिल में अर्थ है, 'आदरणीय बड़ा भाई'. उनका जन्म एक बेहद साधारण परिवार में हुआ. तंबाकू से रचे दांत, खूंटीदार दाढ़ी और लुभावनी शुष्क आवाज वाले करीब सवा पांच फीट कद के इस शख्स के साथ ही आधुनिक तमिलनाडु की कहानी जुड़ी है.
अन्नादुरै अपने भाषणों के लिए बहुत मशहूर थे. वह तमिल भाषा के समर्थ लेखक भी थे. उन्होंने न सिर्फ कई नाटक लिखे, बल्कि उनमें अभिनय भी किया. उनके कुछ नाटकों पर बाद में फिल्में भी बनाई गईं. तमिल सिनेमा को राजनीतिक प्रचार का अस्त्र बनाने वालों में उनका नाम पहला है. एक सामान्य परिवार में जन्मे अन्नादुरै ने पहले बतौर स्कूल टीचर काम किया, फिर जल्द ही वह पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए.
वह हिंदी के प्रबल विरोधी और तमिल भाषा और साहित्य के पक्के समर्थक थे. वह द्रविड़ आंदोलन के जनक पेरियार ईवी रामास्वामी के अनुयायी थे. शुरू में वह द्रविड़ कड़गम के सदस्य थे, पर अपने राजनीतिक गुरु पेरियार से मतभेद के बाद 1949 में वह द्रविड़ कड़गम से अलग हो गए और अपने सहयोगियों के साथ 'द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम' की स्थापना की. उन्होंने द्रविड़ों के लिए अलग 'द्रविड़नाडु' का नारा दिया और प्रदेश से कांग्रेस शासन को समाप्त करने का संकल्प लिया.
अन्नादुरै की शवयात्रा की तस्वीर
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम ने अपने लक्ष्यों के लिए अनेक आंदोलन किए. दस साल के बाद आखिरकार राज्य की बागडोर अन्नादुरै के हाथ में आ गई. हालांकि असामयिक मृत्यु के चलते वह मुख्यमंत्री कार्यकाल के दो साल भी पूरे नहीं कर पाए, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने तमिल के इस्तेमाल को खूब जोर दिया. मद्रास राज्य का नाम तमिलनाडु करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
उनकी शवयात्रा में सबसे ज्यादा लोग शामिल हुए और इस बात के लिए इसे 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में भी शामिल किया गया. एमजी रामचंद्रन ने 1972 में जब अलग होकर अपनी पार्टी बनाई तो उसका नाम अन्नादुरै के नाम पर अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम रखा. तमिलनाडु की मौजूदा मुख्यमंत्री जयललिता इसी पार्टी की अध्यक्ष हैं.