कोयला घोटाले में सरकार की फजीहत का पूरा इंतजाम हो गया है. अखबार मेल टुडे को सीबीआई सूत्रों से जो नई जानकारी मिली है, वो भी चौंकाने वाली है.
कोयला खदान आवंटन के लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी की 35वीं बैठक हुई थी, उससे जुड़े अहम दस्तावेज भी गायब हैं. ये बैठक 20-23 जून और 30 जुलाई को हुई थी.
स्क्रीनिंग कमेटी की इस मीटिंग में कांग्रेसी नेता नवीन जिंदल और सुबोधकांत सहाय से जुड़ी कंपनियों को कोयला खदानें आवंटित की गई थी. ये कंपनियां इन कांग्रेसी नेताओं से सीधे तौर पर या रिश्तेदारों या जान-पहचान वालों के जरिए जुड़ी हुई हैं.
दरअसल, इस बैठक में जिंदल पावर की झारखंड में खदानें मिली थीं. जो कोल ब्लॉक आवंटित हुए थे वो सौभाग्य मीडिया को मिले थे. इस कंपनी के मालिक पूर्व मंत्री दसारी एन रॉव हैं. इस कंपनी में जिंदल पावर ने 2.25 करोड़ रुपये लगाए थे.
गौरतलब है कि इससे पहले मेल टुडे ने ही खुलासा किया था कि कोयला खदान आवंटन के लिए साल 1993 से 2004 के बीच कई कंपनियों ने आवेदन किया था और उनके दस्तावेज गायब हैं. इनमें कांग्रेस सांसद विजय दर्डा की कंपनी की फाइल भी शामिल है. दर्डा ने बांदेर कोल ब्लॉक के लिए सिफारिश की थी, जिसे पीएमओ ने आगे बढ़ाया था.
वहीं मेल टुडे से एक्सक्लूसिव बातचीत में सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने बताया कि 27 अगस्त को वह कोल स्कैम की जांच के स्टेटस और खोई हुई फाइलों के बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताएंगे और आगे की जांच के लिए निर्देश मांगेंगे.
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने भी माना है कि कोयला खदान आवंटन से जुड़ीं कुछ फाइलें गायब हुई हैं. उन्होंने एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं.
विपक्ष इस मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेर रहा है. 1 लाख 86 हज़ार करोड़ के इस घोटाले की 157 फाइलें कोयला मंत्रालय से कहां चली गईं, इसका जवाब देने में सरकार की सांस अटक गई है. बीजेपी की मांग है कि प्रधानमंत्री खुद जवाब दें क्योंकि जब घोटाले हुए तो ये मंत्रालय उन्हीं के पास था.