सुप्रीम कोर्ट में कोयला घोटाले की अगली सुनवाई सरकार और सीबीआई दोनों के लिए मुश्किल भरी हो सकती है क्योंकि सरकार ने अपने हलफनामे के जरिए स्वीकार किया है कि कोयला घोटाले से जुड़ी कई अहम फाइलें अभी गायब हैं. हालांकि सरकार तमाम गायब फाइलों को ढूंढने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.
कोयला मंत्रालय की ओर से दाखिल 17 पन्ने के हलफनामे और तीन हज़ार से ज्यादा पेज के दस्तावेज में सरकार ने इस घोटाले से संबंधित फाइलों के गायब होने की बात मानी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आवंटन से संबंधित लगभग 300 दस्तावेज नहीं मिल रहे. सरकार ने ये भी माना कि पिछले महीने 43 फाइलें गायब हो गई थी इनमें से 36 फाइलें ढूंढ ली गईं लेकिन 7 फाइलें अभी भी लापता हैं, जिन्हें खोजने का काम जारी है. इसके अलावा कोल ब्लॉक के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों के 157 से ज्यादा अर्जियां अभी भी नहीं मिल रही हैं.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया कि लापता दस्तावेजों की खोज और कारणों का पता लगाने के लिए एक कमेटी बनाई है. कमेटी के अध्यक्ष कोयला मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी होंगे. कमेटी में ऊर्जा, इस्पात और इंडस्ट्रियल पॉलिसी और प्रमोशन, कोल इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट के भी प्रतिनिधि होंगे. सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया है कि बहुत मुमकिन है कि गायब दस्तावेजों की कॉपी कुछ मंत्रालयों की फाइलों में मिल जाए या फिर संबंधित विभागों में उनकी अतिरिक्त प्रति हो. बहरहाल ये कमेटी हर हफ्ते मिलेगी और एक महीने में दस्तावेजों की खोज का काम पूरा कर लेगी.
सीबीआई ने भी इस मामले की स्टेटस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी. रिपोर्ट के साथ दाखिल हलफनामे में सीबीआई ने अपनी स्वायत्तता या अपने निदेशक को और ज्यादा अधिकार दिये जाने की दुहाई दी और किसी भी अफसर की शिकायत मिलने पर जांच के लिए मंजूरी की कवायद को गैर जरूरी बताया. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में ये भी बताया कि सीबीआई ने 11 एफआईआर में से 3 केस में अपनी जांच पूरी कर ली है.