देश के तमाम कोयला खदानों में पांच दिनों तक कोयला खुदाई का काम ठप रहेगा. खदानों के निजीकरण के विरोध में सात लाख कोयला कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है. इस हड़ताल से देशभर में बिजली आपूर्ति भी बाधित हो सकती है. कोल इंडिया की सभी पांच सहयोगी कंपनियों में हड़ताल शुरू हो गई है.
रोजाना डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान
उद्योग में ठेके पर काम करने वाले मजदूरों और अधिकारियों की संख्या करीब 5.50 लाख है. इस हड़ताल से रोजाना करीब 1.5 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता
है.
कई हिस्सों में गुल रहेगी बिजली
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण की निगरानी वाले 100 में से 20 फीसदी बिजली संयंत्रों में चार दिनों का कोयला भंडार है. इसलिए देश के कई हिस्सों में बिजली गुल हो सकती
है.
RSS का लेबर विंग 'भारतीय मजदूर संघ' भी हड़ताल में शामिल
सभी केंद्रीय मजदूर संगठनों ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), उसकी सहायक इकाइयों और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) से जुड़े श्रमिकों से
कोयला उद्योग में छह जनवरी से 10 जनवरी तक पूरे आक्रामक अंदाज में पांच दिवसीय हड़ताल करने का आह्वान किया है. खास बात यह है कि इस हड़ताल में
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से संबद्ध मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल है. हड़ताल में शामिल इन संगठनों में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस)
के अलावा इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) और हिंद मजदूर संघ
शामिल हैं.
एटक के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, 'यह संभवत: उद्योग के इतिहास में सबसे बड़ी हड़ताल होगी. इस लंबी हड़ताल से बिजली क्षेत्र प्रभावित हो सकता है.'
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से 2010 के बीच हुए 204 कोयला ब्लॉकों के आवंटन रद्द कर दिए थे. इसलिए सरकार ने ब्लॉकों के नए सिरे से निलामी के लिए अक्टूबर में कोयला अध्यादेश (विशेष प्रावधान) विधेयक-2014 पेश किया था. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26 दिसंबर 2014 को ऑर्डिनेंस पर हस्ताक्षर किए थे.