कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसमें नवभारत पावर लिमिटेड और इसके दो निदेशकों को अभियुक्त बनाया गया है. सीबीआई ने इन पर 2006 से 2009 के दौरान कोयला ब्लॉक का आवंटन प्राप्त करने के लिए तथ्यों की गलत जानकारी देने और आवेदन को आकर्षक बनाने के लिए धोखेबाजी वाले दावे करने का अरोप लगाए हैं.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले से जुड़े दूसरे मामलों में चार्जशीट फाइल करने में सीबीआई की ओर से हो रही देरी के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी को फटकार लगाई. कोर्ट ने सीबीआई से 28 मार्च तक घोटाले के पांच मामलों में चार्जशीट दाखिल करने को कहा है. सीबीआई इसके लिए चार हफ्तों का समय मांग रही थी, लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. सीबीआई ने अब तक घोटाले से जुड़े सिर्फ एक मामले में चार्जशीट दाखिल की है.
AAP नेता और वकील प्रशांत भूषण ने जनहित के हवाले से कोर्ट से कहा कि सीबीआई चुनाव के मद्देनजर जानबूझकर चार्जशीट फाइल करने में देर कर रही है.
जो पहली चार्जशीट सीबीआई ने सोमवार को दाखिल की उसमें नवभारत पावर प्राइवेट लि. के दो निदेशकों पी त्रिविक्रमा प्रसाद और वाई हरीश चंद्र प्रसाद के नाम शामिल हैं. अदालत के सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने इस कंपनी और इसके दो निदेशकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) का मामला दायर किया है.
सूत्रों के मुताबिक, इन पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत मामला दायर नहीं किया गया है. सीबीआई ने 3 सितंबर, 2012 को नवभारत पावर लि. और उसके दो निदेशकों सहित कोयला मंत्रालय और झारखंड सरकार के कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दायर कर जांच शुरू की थी. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने यह मामला सीबीआई जांच के लिए भेजा था. शुरुआती जांच के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई.