कोल ब्लॉक आवंटन मामले में सीबीआई ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीनचिट दे दी है. जांच एजेंसी ने विशेष अदालत से कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं, जो प्रथम दृष्टया यह संकेत देते हैं कि वह नवीन जिंदल समूह की कंपनियों को कोयला ब्लॉक के आवंटन की किसी साजिश का हिस्सा थे.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की याचिका पर दलील देते हुए विशेष लोक अभियोजक आरएस चीमा ने अदालत से कहा कि आवेदन में दम नहीं है. कोड़ा ने सिंह और दो अन्य को कोयला घोटाला मामले में अतिरिक्त आरोपी के तौर पर तलब करने की मांग की थी.
चीमा ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर से कहा कि मामले के रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया भी संकेत नहीं देते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री, जो उस वक्त कोयला मंत्री भी थे, उनका किसी भी तरीके से किसी आरोपी के साथ साठगांठ था और इस बात को दर्शाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि समूची प्रक्रिया में उन्होंने यांत्रिक तरीके से काम किया.
'ध्यान भटकाने चाहते हैं कोड़ा'
चीमा ने कहा, 'मौजूदा आवेदन आरोपी व्यक्ति की तरफ से मौजूदा मुकदमे को न सिर्फ विलंबित करने बल्कि अदालत का ध्यान मामले से दूसरी ओर भटकाने की भी युक्ति है.’ अभियोजक ने यह भी कहा कि मामले में सीबीआई ने व्यापक और पूरी जांच की है और अदालत ने कोड़ा समेत 15 आरोपियों को तलब करने में कोई गलती नहीं पाई. उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था.
जज से चीमा ने आगे कहा, 'रिकॉर्ड प्रथम दृष्टया मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री को आरोपी के तौर पर तलब करने के लिए कुछ भी नहीं दर्शाते हैं. साक्ष्य कोयला ब्लॉक आवंटन में तत्कालीन प्रधानमंत्री की तरफ से कोई साठगांठ नहीं दर्शाते हैं.' उन्होंने आगे कहा कि आवेदन में कोई दम नहीं है. मामले में जांच व्यापक और सभी दृष्टि से पूरी है. हम मामले में अब अतिरिक्त आरोपी को तलब करने का कोई कारण नहीं पाते हैं.
चीमा ने कहा कि उस वक्त जब मनमोहन सिंह कोयला मंत्री भी थे तब प्रत्येक कोयला ब्लॉक का आवंटन आखिरकार उनके आदेश से किया जाता था और आरोपी नहीं कह सकता कि सिर्फ इसलिए कि उसने अंतिम मंजूरी दी थी उन्हें आरोपी बनाया जाना चाहिए.
आरोपियों से साठगांठ
उन्होंने कहा कि सीबीआई के मामले के मुताबिक झारखंड में सरकारी तंत्र ने अन्य आरोपियों के साथ साठगांठ किया था ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि कोयला ब्लॉक जिंदल समूह की कंपनियों को आवंटित हो और यह कहना सही नहीं होगा कि राज्य में जो कुछ भी हुआ मनमोहन सिंह को उसकी जानकारी थी. अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद कोड़ा के आवेदन पर 16 अक्तूबर तक अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
-इनपुट भाषा से