कोयला घोटाले में कांग्रेस ने मोटा माल बनाया है. ये संगीन इल्जाम, बीजेपी ने सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस पर लगाए हैं. पीएम के इस्तीफे की मांग पर अडी बीजेपी ने कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि देसी भाषा में कहें तो कांग्रेस पार्टी ने भी इस घोटाले में मोटा माल बनाया है. पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ इस हल्लाबोल में नेताओं की पूरी फौज लगा दी.
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज यहीं नहीं रुकी, साफ कर दिया कि कोई साथ आए ना आए, बीजेपी पीएम के इस्तीफे की मांग से पीछे नहीं हटने वाली.
बीजेपी ने हल्लाबोल शुरू किया तो सरकार के मंत्री भी कमर कस कर मैदान में आ गए. बीजेपी के सवालों का जवाब देने के लिए सरकार के तीन मंत्री एक साथ आए. विपक्ष पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया. प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस ने बीजेपी को पहले सभ्यता की पाठ पढ़ाई.
कांग्रेस की तरफ से सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने भी मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि मोटा माल कमाने के बीजेपी के आरोप पर पूछा वो क्यों संसद ठप कर करोड़ों रुपए जाया कर रही है.
दरअसल कांग्रेस भी अब आक्रामक रणनीति के फॉर्मूले पर चल रही है. सूत्रों के मुताबिक सोमवार को पीएम का संसद में बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा था. पीएम का बयान किसी वकालतनामा की तरह तैयार किया गया और कहा जा रहा है कि पीएसी में जवाब देने की तैयारी है.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस अब 26 सितंबर 2006 को लिखे कानून मंत्रालय की चिट्ठी के सहारे सीएजी रिपोर्ट की धज्जियां उड़ाने की भी तैयारी में है. सरकार ने यह साबित करने की तैयारी है कि कैसे रिपोर्ट को सनसनीखेज बनाने के लिए सीएजी ने कानून मंत्रालय की चिट्ठी के उसी हिस्से को कोट किया जिसमें ये लिखा था कि सरकार चाहे तो नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर सकती है और इसके लिए कानून बदलने की जरूरत नहीं है.
सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय की उसी चिट्ठी में ये भी लिखा था कि बेहतर होगा कि सरकार नीलामी के लिए कानून में बदलाव की प्रक्रिया शुरू करे. लेकिन सीएजी ने कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट तैयार करते वक्त जानबूझ कर इसे नजरअंदाज किया.
सूत्रों के मुताबिक बगैर सीएजी की मंशा पर सवाल उठाए रिपोर्ट के दूसरे पहलुओं पर भी सवालिया निशान लगाने की तैयारी है. ये साबित किया जाएगा कि सीएजी की रिपोर्ट तथ्यों के परे है. इसे सनसनीखेज बनाया गया है. आंकड़ों के तथ्य भी गलत हैं. और कई महत्वपूर्ण बातों को नजरअंदाज किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक 2006 की 11 सांसदों की उस चिट्ठी को भी सामने लाने की तैयारी में है जिसमें उन्होंने कोयला खदानों की नीलामी का विरोध किया था. इसमें 5 बीजेपी के, तीन कांग्रेस के, एक जेडीयू का एक जेएमएम का सांसद के दस्तखत हैं.
सरकार हर कोशिश में लगी है कि बीजेपी को अलग थलग किया जाए और आम आदमी को यही संदेश दिया जाए कि सरकार सदन चलाना चाहती थी.
बहरहाल पीएम के इस्तीफे का सवाल नहीं और बीजेपी भी संसद ना चलने देने पर अड़ी है.लिहाजा अब लड़ाई आर पार की हो गयी है. आलम यही रहा तो मुमकिन है कि संसद जल्दी ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो जाएगी.