कोयला उद्योग के करीब पांच लाख कर्मचारी मंगलवार से पांच दिन की हड़ताल पर हैं. इसका असर पहले ही दिन से दिखने लगा है. कर्मचारियों की हड़ताल से देश का 75 फीसदी कोयला उत्पादन ठप हो गया. इससे कोल इंडिया भी प्रभावित हुई है और बिजली संयंत्रों को ईंधन आपूर्ति पर भी असर पड़ सकता है. यानी संभव है कि देश के सामने एक बड़ा बिजली संकट खड़ा हो जाए.
हड़ताल को समाप्त करने के लिए सरकारी अधिकारियों और श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मंगलवार देर रात चार घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत विफल हो गई है. कर्मचारियों ने कहा कि वे हड़ताल जारी रखेंगे. इसे 1977 के बाद की अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक हड़ताल माना जा रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हर दिन 15 लाख टन के कुल उत्पादन में से करीब 75 फीसदी प्रभावित हुआ है.' उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठनों के नेता अपने रुख पर अड़े हुए हैं.
बिजली संकट की आशंकाओं से गोयल का इनकार
मजदूर यूनियन ‘कोल इंडिया के विनिवेश और पुनर्गठन’ के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं. वे अपनी अन्य मांगों के साथ ऐसी नीतियों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जिसे वे कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण खत्म करने की प्रक्रिया कहती हैं. बिजली संकट की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उर्जा मंत्री पीयूष गोयल कहते हैं, 'मुझे ऐसा नहीं लगता.' कोयला मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे गोयल ने संकेत दिया कि वह बुधवार को यूनियन के नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं.
यूनियन नेताओं का दावा है कि देशभर में कोयला उद्योग के पांच लाख से अधिक मजदूर इस हड़ताल में शामिल हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कोयला मंत्री गोयल सहित ‘राजनीतिक स्तर’ पर बातचीत को तैयार हैं. अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल के पहले ही दिन पहली दो पालियों में 70 करोड़ रुपये तक के उत्पादन का नुकसान का अनुमान है. हड़ताल की घोषणा पांच प्रमुख मजदूर संगठनों ने की है जिनमें बीजेपी समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल हैं. श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हड़ताल के कारण कोल इंडिया और इसकी अनुषंगियों का परिचालन प्रभावित हुआ है. बयान के अनुसार सिंगरेनी कोलिएरीज कंपनी की खानें भी इससे प्रभावित हुई हैं.
प्रमुख मजदूर संगठन- बीएमएस, इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस इस हड़ताल में शामिल हैं. इससे बिजली संयंत्रों को आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है, जो पहले से ही ईंधन संकट से जूझ रहे हैं. 80 फीसदी से अधिक घरेलू कोयला उत्पादन कोल इंडिया द्वारा किया जाता है.
इंटक के महासचिव एसक्यू जमा ने मंगलवार रात वार्ता कक्ष से बाहर निकलते हुए कहा, 'सचिव स्तर की वार्ता विफल हो गई, लेकिन हम राजनीतिक स्तर पर प्रधानमंत्री या कोयला मंत्री स्तर पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं.' कोल इंडिया के नवनियुक्त अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने उम्मीद जताई कि समस्या सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझा ली जाएगी.
-इनपुट भाषा से