अगस्त 2012 में जब संसद में कोयला घोटाले पर सीएजी रिपोर्ट को पेश किया गया, तो खूब हंगामा मचा. इस घटनाक्रम के लगभग एक साल बाद सीएजी ने झारखंड सरकार के राजस्व को लेकर एक नई रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में भी कोयला ब्लॉक आवंटन में हुई अनियमितता का जिक्र था.
रिपोर्ट में यूपीए सरकार और झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए बनी लिस्ट के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा. दरअसल स्क्रीनिंग कमेटी ने राज्य के 6 कोयला ब्लॉक के लिए 10 कंपनियों के नाम सुझाए थे, लेकिन इस लिस्ट में बदलाव किया गया. यह खबर अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' ने दी है.
सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2007 में कोयला मंत्रालय ने मधु कोड़ा द्वारा कोयला ब्लॉक के लिए तैयार सूची में किए बदलाव पर मुहर तो लगाई ही लेकिन अंतिम चरण में कुछ बदलाव भी कर डाले. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास इस समय कोयला मंत्रालय का भी प्रभार था. इस पूरी प्रक्रिया में कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी के सुझावों को पूरी तरह से दरकिनार किया गया.
कोल पैनल को किया गया नजरअंदाज
1. स्क्रीनिंग कमेटी ने कुल 210 आवेदनों में से 10 कंपनियों का चयन किया.
2. जून 2007 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस सूची से 3 कंपनियों का नाम हटाकर अपनी तरफ से सिफारिशी पांच नई कंपनियों को शामिल कर लिया.
3. कंपनियों की लिस्ट में किए गए बदलाव के लिए मधु कोड़ा ने कोई कारण नहीं बताया.
4. केंद्र ने इस लिस्ट पर मुहर तो लगाई, साथ में अपनी तरफ से कुछ नए नाम भी जोड़ दिए.
5. सीएजी ने सितंबर 2012 में झारखंड सरकार से इस पर जवाब भी मांगा था, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है, 'स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से सुझाए गई कंपनियों की सूची जून 2007 में झारखंड सरकार को मिली. इस पर मुख्यमंत्री को मुहर लगाना था. उन्होंने इस सूची में बदलाव किए और नई लिस्ट केंद्र सरकार के पास भेज दी. हालांकि लिस्ट में किए गए इस बदलाव के लिए कोई कारण नहीं बताया गया.'
यह रिपोर्ट जुलाई 2013 में संसद में पेश की गई थी. इस वक्त झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू था.