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खानाखराब: हमार झारखंड है, तोहार झारखंड है, और जो बच गए जोहार झारखंड है

कहते हैं कि बाबा बिराजते हैं झारखंड में. अब तो वो बिराजते हैं कि बाबा रे बाबा. बाबू बिराजे जब बिहार से अलग हुए, अर्जुन लास्ट में सत्ता से थलग हुए. अब खबर आई है कि हेमंत बिराजेंगे.

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हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन

हमार झारखण्ड है, तोहार झारखंड है,
और जो बच गए जोहार झारखंड है!

कहते हैं कि बाबा बिराजते हैं झारखंड में. अब तो वो बिराजते हैं कि बाबा रे बाबा. बाबू बिराजे जब बिहार से अलग हुए, अर्जुन लास्ट में सत्ता से थलग हुए. झारखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिराजने वालों की लाइन बड़ी ही फाइन है. चार लोग आठ बार कुर्सी पर बैठे हैं, दो बार कुर्सी ही राजभवन हो आई है. अब खबर आई है कि हेमंत बिराजेंगे. पिताजी घंटाल थे, गुरुजी कहलाते थे. पर फ़ेल हो जाते थे जब कोई गुर आजमाते थे. अब कांग्रेस का हाथ थाम कर कुर्सी बेटे ने हथियाई है. झारखंड की बने ना बने, राजनीति की फिर बन आई है. बिहार के बंटवारा के दिन से बंदरबांट ज़ारी है. लोहा खाने वालों को जंग लग गया है, करप्शन का कोयला तब से लोहे पर भारी है.

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जब बिहार का हिस्सा थे तो गुरुजी सबसे बड़ा किस्सा थे. झारखंड को बिहार से मुक्ति दिलाने के लिए मोर्चा खोल रखा था. जब राज्य बन गया तब से झारखंड को मुक्ति दिलाने पर तुले हैं. राव ने करोड़ का भाव लगाया था एक-एक एमपी का. इतनी जगहंसाई हुई कि राज्य मिला तो राज नहीं मिल पाया. जनता का फरमान था मिलीजुली सरकार हो. भाजपा ने जदयू और समता पार्टी को साथ लिया और बाबूलाल मरांडी बने पहले मुखिया, राज्य सबसे धनी और सबसे दुखिया. नए राज्य में नया माल गपोसने में किसका हिस्सा कितना हो, इस पर गठबंधन ही टूट गया. उस दिन ही वो नया सपना दूर कहीं छूट गया. खंडित जनादेश था, मिलकर चलो ये आदेश था. मिलकर लूटना सुन लिया सियासत ने. बार बार टूटना सीखा रियासत ने. टूटना ही तो खंड-खंड होना है, अपनों से धोखे खाना झारखण्ड होना है.

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मुंडा ने रूठों को मनाया, दो साल चलाया. चुनाव के बाद शिबू सोरेन ने अल्पमत सरकार बनाई, दस दिन नहीं चल पाई. फिर मुंडा ने निर्दलीयों से समर्थन जुटाया, एक साल में एक निर्दलीय को गज़ब का आईडिया आया. हमारे बैसाखी पर जब सरकार खड़ी है, तो हम बड़े हैं या सरकार बड़ी है? मधु कोड़ा निर्दलीयों के साथ निकल पड़े. मुंडा के पांव तले ज़मीन खिसक गई. गणतंत्र की पीठ पर इतिहास में ऐसा कोड़ा नहीं पड़ा था. एक अकेला, निर्दलीय विधायक कुर्सी पर जा चढ़ा था. मधु तो थोड़ा-थोड़ा कर के छत्ता ही चाट गए. बाकी जो आए वो भी आपस में बांट गए.

ज़मीन के पथरीले बदन पर जंगल है, पेट के भीतर लोहा है, सोना भी. पेट चीर कर खदान बने हैं, जिनसे सेठों के कलकत्ते में मकान बने हैं. कोयला देश भर में जाता है, तो वहां बिजली आती है. यहां अभी देर है, अभी तो अंधेर है. नक्सल-प्रभावित राज्य है तो सुरक्षा का भी पैसा है, विकास नहीं कर पाने का बहाना है, विकास का भी पैसा है, ना हो पाने वाले विकास का भी कुछ ऐसा है, कोयला है, कोलियरी है, कारखाना है भारी, सैयां करते जी कोल बाजारी. अयस्क में नंबर वन होते हुए भी 13 साल का राज्य वयस्क नहीं हो पाया. बच्चे को जिसने चाहा लोलीपॉप थमाया. साथ ही पैदा हुआ छत्तीसगढ़ दिन दूनी रात छत्तीस गुनी तरक्की कर रहा है. झारखंड एक प्रश्न है जिसका उत्तर नहीं, दक्षिण भी नहीं, जो है वो थोड़ा वामपंथ है. उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा आई तो देश सिहर गया, यहां प्रकृति पर आपदा है, आपदा की प्रवृति है.

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विधानसभा त्रिशंकु रहने की आदी हो गई है. ऐसे में जोड़-तोड़, मोल-भाव चलता रहता है. सरकारें आती हैं, जाती हैं. राष्ट्रपति के शासन के दोनों तरफ. भ्रष्टाचार की ऐसी मिसाल बनाते हैं कि दिल्ली शरमा जाती है रांची की आंच में. दिल्ली इस खसोट में शामिल है, उसका हिस्सा हर नोट में शामिल है. जलप्रपातों में ज़हर किसने घोला है, इस सवाल के जवाब में सच कौन बोला है. आदिवासी-दिकु का विभाजन है, विभाजन के बाद. आदिवासियों में हो, उरांव, मुंडा आदि का भी तो बंटवारा है. भय और भूख. अनंत है, अनादि है. नुक्कड़ पे रंगबाज है, जंगल में माओवादी है. बहते हुए खून से हर वासी आदी है. यहां का हर आदमी आदी वासी है.

झारखंड के जंगल में मंगल हो रहा है
बुध्धू हंडिया का सोम चढ़ा के
गुरु को शुक्र है शुक्र है कह रहा है
क्योंकि सनीचर को इतवार का इंतजाम करना है.
बुद्धू बेचारे को सातों दिन काम करना है
क्रशर पर जाकर गिट्टी फोड़ना है
काम क्या दिन भर पत्थर तोड़ना है
क्योंकि बाकी वो जो सिलसिला है
तेरह सौ सालों से नहीं टूटा है,
तेरह साल में कहां से टूटेगा!

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