मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने शुक्रवार को व्यवस्था दी कि मुर्गे की लड़ाई की अनुमति देने का निर्देश पुलिस को नहीं दिया जा सकता क्योंकि पक्षियों एवं जानवरों के बीच लड़ाई पशु क्रूरता रोकथाम (पीसीए) अधिनियम, 1960 के तहत प्रतिबंधित है.
जस्टिस एम जयचंद्रन और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने इसके साथ ही मुर्गे की लड़ाई की अनुमति के लिये दायर याचिका खारिज कर दी. पीठ ने कहा, ‘मुर्गे की लड़ाई पीसीए अधिनियम की धारा 11 (1) (एन) के तहत प्रतिबंधित सूची में है अत: अदालत को ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति संबधी याचिकाओं पर गौर नहीं करना चाहिए.’
खंडपीठ ने कहा कि इस साल मई में ऐसे ही एक मामले से निबटते हुए जस्टिस एन किरुबकरण की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने कहा था, ‘पक्षियों को परेशानी में डालकर उस पर मजे करना और कुछ नहीं बल्कि मानवीय विकृति है. कोई भी इंसान इस तरह के परपीड़ा से आनंदित नहीं हो सकता.’