कोलेजियम सिस्टम में सुधार पर अटॉर्नी जनरल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जजों की नियुक्ति से पहले बार काउंसिल की राय ली जानी चाहिए. यही नहीं, मुकुल रोहतगी में सरकार की ओर से दिए गए सुझावों में यह भी कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर एक निर्धारित मानदंड को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उन्हें सुझावों की लंबी फेहरिस्त मिली है. तमाम बिंदुओं पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा, 'हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कोलेजियम सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए चार मुद्दों का खयाल रखना जरूरी है. इसके लिए पारदर्शिता, न्यूनतम योग्यता, कोलेजियम सेक्रेटरी और भावी नियुक्ति के बाद शिकायतों से निपटने पर ध्यान देना होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि कोलेजियम व्यस्था को पूरी तरह से बदला नहीं जा सकता है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 16 अक्टूबर 2015 के फैसले में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) को खारिज कर दिया था. इसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कोलेजियम प्रणाली में सुधार के लिए सुझाव मांगे थे.
मंगलवार को अटॉर्नी जनरल ने सरकार की ओर से कोर्ट में दिए ये सुझाव-
- कोलेजियम को एक खास व्यक्ति को न्यायाधीश नियुक्त करने के दौरान कारणों का उल्लेख जरूर करना चाहिए.
- न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर एक निर्धारित मापदंड को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
- कोलेजियम को न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए न्यूनतम पात्रता को सार्वजनिक करना चाहिए.
- जजों की नियुक्ति से पहले कोलेजियम को बार काउंसिल की राय लेनी चाहिए.
- हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जिन लोगों की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है, उनके नामांकन को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.