scorecardresearch
 

जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था अवैध: केंद्र

जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था को अवैध बताते हुए सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उसमें सबकुछ सही नहीं है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था को अवैध बताते हुए सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उसमें सब कुछ सही नहीं है. सरकार ने यह भी कहा कि दो दशक पुरानी कॉलेजियम व्यवस्था को बदलने वाले कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं समय से पूर्व दाखिल की गई हैं क्योंकि अधिसूचना के अभाव में उन्हें अभी लागू नहीं किया गया है. जजों की नियुक्ति के लिए नया बिल

Advertisement

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'अनुभव ने दर्शाया है कि कॉलेजियम व्यवस्था के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है लेकिन फिलहाल मैं कॉलेजियम व्यवस्था की वैधता में नहीं जाऊंगा.'

उन्होंने कहा, 'कॉलेजियम व्यवस्था अवैध है और शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों समेत इसकी कई तरफ से व्यापक आलोचना की गई है.'

उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था जो लागू होने वाली है वह तीन जजों और समाज के दो सदस्यों का स्वस्थ मिश्रण है, जिनका चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी का नेता और चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली उच्चाधिकार समिति करेगी.

रोहतगी ने कहा कि कानूनों की वैधता का परीक्षण करने का अदालत के समक्ष कोई आधार नहीं है और चुनौती अमूर्त और अकादमिक है जो बिना किसी आधार के शंका और पूर्वधारणा पर आधारित है.

अटॉर्नी जनरल ने न्यायमूर्ति ए आर दवे, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एम बी लोकुर की पीठ के समक्ष कहा, 'जब तक केंद्र सरकार अधिसूचना के साथ नहीं आती है तब तक कानून निष्क्रिय रहेगा. शीर्ष अदालत इस बात पर फैसला करने के लिए सुनवाई कर रही है कि क्या संविधान संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारणीय हैं या नहीं.'

Advertisement

रोहतगी ने कहा,'कानून की वैधता की जांच तब की जाएगी जब कानून लागू हो जाएगा और वह लोगों के अधिकारों को प्रभावित करने में सक्षम है.'

- इनपुट भाषा

Advertisement
Advertisement